पाकिस्तान की हरकत से , कितने घर उजाडोंगे , सियासत की सड़क पर अब कहां तक तुम दाहाड़ोगे


पाकिस्तान  की  हरकत  से, कितने  घर उजाड़ोगे
सियासत की सड़क परअब कंहा तक तुम दहाड़ोगे
भरोसा  खो  चुकी  जनता, इन खादी के नमूनो से
अब ये सरहद लाल होती है क्यों फौजो के खूनो से

हमें   नेता  बनादो   तुम  हम   वो  कर  दिखायेगें
वतन  की  आबरू   पर   भी मिटेगे  मर दिखायेगें
झाडू   ही   लगाना  है   तो  सरहद  पर   लगायेगें
सुषमा  ने  कहा था  हम  दश  नर - मुण्ड  लायेगें

अब तुम चूडियाँ  पहनो  हूकूमत  छोड दो  हम पर
भरोसा करके देखो तो,इस किन्नर के दमखम पर
ना  आगे  है  ना  पीछे  है, वतन को  हम बचायेगें
तिरंगा हाथ में  दे  दो, हम कंराची तक  फहरायेगें

 ये पाकिस्तान और चीनी भी, हमला रोज करते हैं
यहा सियासी  कारनामे तो, अब सबको अखरते हैं
क्या ये  नैपाल मण्डी  है, बस,खुले बाजार में घूमों
क्या  खाला  का  घर  है  ये, जंहा चाहो  वंहा झूमो

इन अलगाव  वादी को  अब  ठिकाने  हम  लगायें
इन्हे   हिजडा   बना  करके  सरहद   पर  नचायेंगें
दाडी नोच  कर  हाफिज  की हम   सलवार  फाडेंगें
नंगा  करके   भडुवों   को    कंराची  में   ही गाढेंगें

तुम्हारी  इस  कूटनीति  से  यंहा  आवाम मरता हेै
तुम्हारा  ये   तरीका   भी   हम  सबको अखरता है
तुम्हारी बात सुन करके, यंहा कुछ  आस जागी थी
ये इतिहास  कहता है  कि ये सत्ता  ही अभागी थी

तुम्हें अब  है कंहा  फुरसत,भारत माँ  की छाती की
नेता  को  तो  चिन्ता है,वतन में और  ख्याति की
अब वजीरों  का  चौराहो  में  चिल्लाना  अखरता है
 सरहद  का  सिपाही   क्यों  ,यंहा  बे-मौत मरता है

इस भारत  मां  ने  सरहद  के  हजारों  शेर  खोये है
इन  पाकिस्तान  के   भडुवों ने  कैसे  बीज  बोये हैं
हमें  भी  दर्द   होता  है,  जब   कोई   वीर  मरता है
क्यों सत्तर साल  से मुर्दा,ये  हरकत रोज करता है

किन्नर हैं,ना हिन्दू है,ना  मुस्लिम हैसियासत में
हमें तो  नाच, गाना  ही  मिला  है इस विरासत में
वतन   की  रोटियां  खाकर  हम  जीवन  चलाते हैं
हम  ना  मर्द   होकर  भी  वतन   के  गीत  गाते है

जब  हमारी  फौज  मरती  है,हमारा खून जलता है
यहां अलगाव-वादी क्यों   सियासत से ही पलता है
तुम्हे मुफ्ती  की  युक्ति में क्या कुछ रास आता है
क्यों  हाफिज  कमीना  ही धुन कश्मीर की गाता है

हमें  बस ,एक  मौका  दो  कुछ  करके  दिखाने का
हमें  बस  एक  मौका  दो , माँ   का  दर्द   गाने का
हम  फौजों   साये  में  ही ,वो  कुछ  कर  दिखायेगें
जो  तुम  में  बुझी  है  आग  वो  ,फिर  से जगायेगे।
         राजेन्द्र प्रसाद बहुगुणा(आग)की फेसवाल से

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