जड़धार गांव के लोगों ने रचा इतिहास
टिहरी गढ़वाल - जंगलों के संरक्षण का जो काम वन विभाग लाखों करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद भी नहीं कर पा रहा है। वह काम ग्रामीण खुद के प्रयासों से कर रहे हैं । इस काम का जीता जागता उदाहरण है टिहरी जिले के चम्बा ब्लॉक का जड़धार गाँव है। जहां के ग्रामीणों ने अपने सामूहिक प्रयासों से नंगी पहाड़ी पर हरियाली लौटाने का प्रेरणादाई कार्य किया है। करीब तीन दशक पहले एक समय वह था जब गांव की आसपास का जंगल अनियोजित दोहन के कारण समाप्त होने के कगार पर पहुंच गया था। उसके बाद गांव के बड़े बुजुर्गों को इसकी चिंता हुई और उन्होंने सोचा कि यदि जंगल इसी तरह समाप्त होता रहा तो आने वाली पीढ़ी के लिए कुछ नहीं बचेगा। पशुओं के लिए चारा और भोजन बनाने के लिए लकड़ी कहां से आएगी। बस फिर क्या था ग्रामीणों ने जंगल संरक्षण करने का निर्णय लिया इसके लिए ग्रामीणों ने गांव में वन पंचायत एवं वन सुरक्षा समिति का गठन किया और जंगल को बचाने के लिए 3 चौकीदार नियुक्त किए। जिनको प्रत्येक परिवार से कुछ धनराशि धर्मा दी गई चौकीदारों ने जंगल की देखभाल का काम किया और ग्रामीणों को समझाने का कार्य किया की जंगल को पंत आना है ग्रामीणों के प्रयास और चौकीदारों के काम से देखते ही देखते कुछ साल में गाँव के ठीक सिरहाने करीब 10 किलोमीटर वर्ग क्षेत्रफल में बांज बुरांश का मिश्रित जंगल तैयार हो गया। जो पहाड़िया नंगी वह वीरान थी उन पर हरियाली लौट आई । आज आसपास के दूसरे गांव के लिए जड़धार गाँव का जंगल उदाहरण बना हुआ है । जंगल को देखने के लिए दूरदराज से शोधार्थी विद्यार्थी भी यहां आते हैं अब चौकीदार की व्यवस्था समाप्त कर दी गई है और ग्रामीण जल संरक्षण का महत्व जान गए हैं। इसलिए अब जंगल को कोई भी नुकसान नहीं पहुंचाता है । जंगल संरक्षण होने से लोगों की घास लकड़ी हवा पानी की जरूरत पूरी हो रही है और गांव के आसपास के पानी के स्रोत भी रिचार्ज हुए हैं।
बाइट 1 राजेन्द्र सिंह नेगी सरपंच वन पंचायत ग्रामीणों के सामूहिक प्रयासों से गांव का खुद का हरा भरा जंगल तैयार हो गया है शुरुआत में चौकीदार रखे गए थे लेकिन अब गांव का हर व्यक्ति जंगल संरक्षण की जिम्मेदारी लेकर चौकीदार की भूमिका निभा रहा है और इसी तरह के प्रयास सभी लोगों को करनी चाहिए
व्हाइट 2 मीना देवी ग्रामीण। गांव के सभी लोगों ने मिलजुल कर जंगल बचाने का काम किया जंगल होने के बहुत सारे फायदे अब लोगों को पूरी तरह समझ आ गए हैं इसलिए उन्हें पता है कि जंगल का संरक्षण कितना जरूरी है।
रिपोर्ट बलवन्त रावत
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