राष्ट्रीय संत गोपालमणि महाराज ने आज देहरादून में किया नामांकन , आखिर क्यों जरूरत पड़ गई एक संत को चुनावी मैदान में उतरने की जानिये पूरी कहानी
देहरादून - तो आखिरकार टिहरी सीट से राष्ट्रीय संत गोपालमणि महाराज ने आज नामांकन करा ही लिया ၊
अगर बात करें गोपालमणि महाराज की तो उनका दूर-दूर तक राजनीति से कोई नाता नही रहा है ना ही उनकी बैकग्राउण्ड पृष्ठभूमि ही राजनीतिक है और ना ही पारिवारिक तो आखिर उनको राष्ट्रीय संत से राजनीति मे क्यों आना पड़ा तो हम आपको याद दिलाते हैं उस वाकये कि जो गोपालमणि महाराज ने कहे थे ၊ उन्होने स्वयं कहा था कि जब सरकार के कानों में जूं नही रेंग रही है तो अपनी बात संसद तक पहुंचाने के लिए मुझे स्वयं चुनाव लड़ना पड़ रहा है ၊
गोपालमणि महाराज काफी समय से गौकथा करते आ रहें हैं और उनके लगभग सभी जगहों पर लाखों में शिष्य भी हैं ၊
क्योंकि गोपालमणि महाराज गौ माता को राष्ट्र माता का दर्जा दिलाने के लिए प्रयत्नशील रहे हैं और उनका कहना है कि जब गाय बचेगी तभी हिन्दुत्व बचेगा क्योंकि पुराणों में भी गौ माता को देवी -देवताओं का प्रतीक माना गया है ၊
अब आप कहेंगे कि इसमें चुनाव लड़ने की बात कहां से आ गई तो गौ माता को राष्ट्र माता का दर्जा मोदी सरकार द्वारा न दिलाये जाने से नाराज संत गोपालमणि को चुनाव लड़ना पड़ गया ၊ इसमें सबसे बड़ी बात यह देखने को मिली कि मोदी सरकार इस समय पूरे बहुमत में थी और गौ माता को राष्ट्रमाता का दर्जा दिया जाना बहुत मुश्किल भी नही था जब बिधायकों का वेतन कैबिनेट में एक घण्टे में एक सौ एक प्रतिशत किया जा सकता है , जब सांसदो का वेतन चन्द मिनटों में बढ़ाया जा सकता है तो ये तो पूरे देश के हिन्दुओं का सवाल था , पूरे चौंसठ करोड़ देवी -देवताओं से जुड़ा हुआ सवाल था क्या इसका उत्तर भारत सरकार के पास नही था ၊
सरकार यदि चाहती तो इस मुद्वे को राजनीति से अलग करके गौमाता को राष्ट्र माता की उपाधि दे सकती थी उसमें कोई माथापच्ची करने की जरूरत नही थी और ना ही किसी कोर्ट की विवशता ၊
जब एक संत को गौ माता को बचाने के लिए चुनाव मैदान में उस पार्टी के खिलाफ उतरना पड़ रहा है जो हिंदुत्व की बात करती है तो इससे बड़ी बिडम्बना और क्या हो सकती है हमारे देश के लिए और उसके बाद भी हम अपने को हिन्दू कहें ये बड़ी ही शर्म की बात है ၊
हमारा देश वो देश था जहां गौ माता को पूजा जाता है उसका गोबर , उसका गौमूत्र हमारे बिधि -विधान में लाया जाता है उसके बाद भी क्षणिक राजनीति के लिए हम उस गौमाता को कैसे भुला सकते हैं ၊
आज एक संत को गाय को बचाने के लिए मैदान में कूदना पड़ा उस संत को जो कथायें करता है जिसका काम कथायें करना था राजनीति नही ၊
आखिर किस समाज में जी रहे हैं हमारे उन्मादी नेता क्या क्षणिक सुख के लिए , क्षणिक राजनीति के लिए अपने धर्म को भूल जाना इन्सानियत है ये मैं आपसे पूछता हूं आखिर कहां जा रहें हैं हम और हमारा समाज क्यों टकराव की स्थिति बन गई एक संत और राजनीतिज्ञों में ये सोचनीय विषय है ၊
खैर गोपालमणि महाराज जब इस गन्दगी में कूद ही गये है तो हम आशा करते हैं वो गौमाता को राष्ट्रमाता का दर्जा दिलाकर ही रहेंगे ၊
Team uk live के लिए ब्यंगकार ज्योति डोभाल
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