उत्तरकाशी जिलाधिकारी आशीष चौहान ने पिरूल से बिजली व बायो उत्पादन को लेकर ली समीक्षा बैठक
रिपोर्ट - बीरेन्द्र नेगी
उत्तरकाशी
चीड़ पिरूल आधारित विद्युत उत्पादन एवं बायो ऑयल इकाईयां स्थापित करने की कवायद जनपद में तेज हो गई हैं।
मंगलवार को जिला सभागार में जिलाधिकारी आशीष चौहान ने चीड़ पिरूल से बिजली उत्पादन व बायोऑयल बनाने को लेकर उरेड़ा विभाग को प्रस्तुत आवेदनों की समीक्षा की। जिलाधिकारी ने कहा कि उरेड़ा विभाग को प्रथम चरण में 5 अभ्यर्थियों ने प्रोजेक्ट लगाने के लिए आवेदन किया था जिसमें सभी अभ्यर्थियों के आवेदन स्वीकृत हो चुके हैं उन्होंने शीघ्र ही द्वितीय चरण में सभी आवेदनों को ऑनलाईन करने के निर्देश उरेड़ा विभाग को दिए।
जिलाधिकारी ने कहा कि जनपद में ज्यादातर चीड़ के वृक्ष हैं इससे निकलने वाले पिरूल में वनाग्नि सीजन में आग लगने की ज्यादा सम्भावनाएं रहती है तथा वनसम्पदाओं का नुकसान होता है। इसलिए पर्यावरण व वन सम्पदाओ को बचाने के लिए यह प्रोजेक्ट बेहद उपयोगी साबित होगा। जहां बिजली व बायो ऑयल बनाने का कार्य प्रारम्भ होगा वहीं रोजगार के नए अवसर भी पैदा होगें। उन्होंने कहा कि पिरूल एकत्र करने हेतु एक मॉडल विकसित किया जाए ताकि ग्रामीण मजदूरों की आर्थिकी मजबूत करने व रोजगार से जोड़ने हेतु प्रभावी कदम उठायें जा सके। उन्होंने कहा कि मॉडल विकसित होने पर ग्रामीण मजदूरों को जिला योजना एवं मनरेगा से भी आच्छादित किया जा सकता है इसलिए प्रभावी ढंग से मॉडल को विकसित करना सुनिश्चित करें।
बैठक में मुख्य विकास अधिकारी प्रशान्त आर्य, ईई विद्युत गौरव सकलानी, परियोजना अधिकारी वंदना,रेंजर रविन्द्र पुंडीर सहित लाभार्थी मौजूद थे।
Team uk live
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चीड़ पिरूल आधारित विद्युत उत्पादन एवं बायो ऑयल इकाईयां स्थापित करने की कवायद जनपद में तेज हो गई हैं।
मंगलवार को जिला सभागार में जिलाधिकारी आशीष चौहान ने चीड़ पिरूल से बिजली उत्पादन व बायोऑयल बनाने को लेकर उरेड़ा विभाग को प्रस्तुत आवेदनों की समीक्षा की। जिलाधिकारी ने कहा कि उरेड़ा विभाग को प्रथम चरण में 5 अभ्यर्थियों ने प्रोजेक्ट लगाने के लिए आवेदन किया था जिसमें सभी अभ्यर्थियों के आवेदन स्वीकृत हो चुके हैं उन्होंने शीघ्र ही द्वितीय चरण में सभी आवेदनों को ऑनलाईन करने के निर्देश उरेड़ा विभाग को दिए।
जिलाधिकारी ने कहा कि जनपद में ज्यादातर चीड़ के वृक्ष हैं इससे निकलने वाले पिरूल में वनाग्नि सीजन में आग लगने की ज्यादा सम्भावनाएं रहती है तथा वनसम्पदाओं का नुकसान होता है। इसलिए पर्यावरण व वन सम्पदाओ को बचाने के लिए यह प्रोजेक्ट बेहद उपयोगी साबित होगा। जहां बिजली व बायो ऑयल बनाने का कार्य प्रारम्भ होगा वहीं रोजगार के नए अवसर भी पैदा होगें। उन्होंने कहा कि पिरूल एकत्र करने हेतु एक मॉडल विकसित किया जाए ताकि ग्रामीण मजदूरों की आर्थिकी मजबूत करने व रोजगार से जोड़ने हेतु प्रभावी कदम उठायें जा सके। उन्होंने कहा कि मॉडल विकसित होने पर ग्रामीण मजदूरों को जिला योजना एवं मनरेगा से भी आच्छादित किया जा सकता है इसलिए प्रभावी ढंग से मॉडल को विकसित करना सुनिश्चित करें।
बैठक में मुख्य विकास अधिकारी प्रशान्त आर्य, ईई विद्युत गौरव सकलानी, परियोजना अधिकारी वंदना,रेंजर रविन्द्र पुंडीर सहित लाभार्थी मौजूद थे।
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