एक्सक्लूसिव : हरिद्वार में हर साल गंगा की गोद से निकलता है सोना , यूपी-उत्तराखण्ड से हजारों लोग आते हैं तलाशने


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हरिद्वार में हर साल गंगा की गोद से निकलता है 'सोना', यूपी-उत्तराखंड से हजारों लोग आते हैं तलाशने
ब्यूरो चीफ -- बलदेव चन्द्र भट्ट

हर साल सफाई के लिए गंगा नदी में पानी रोक दिया जाता है. इस दौरान यूपी और उत्तराखंड के हजारों लोग हरिद्वार में नदी किनारे जुट जाते है और गंगा में सोने और चांदी की तलाश करते है. इसी से उनका परिवार चलता है.
हरिद्वार: मां गंगा धरती पर मानव जाति का उद्धार करने आई थी. रोज लाखों रोग गंगा में स्नान करके अपने पाप धोते है. यही कारण है कि मां गंगा की वजह से कई लोगों की रोजी-रोटी चलती है. गंगा में पानी रहे या न रहे लेकिन मां गंगा हमेशा लोगों का पेट भरती है. सफाई की वजह से इन दिनों हरिद्वार में गंगा का पानी रोक दिया गया है. गंगा पूरी तरह सूख चुकी है. ऐसे में हजारों लोगों ने गंगा किनारे डेरा डाल लिया है. गंगा के सूखने पर हर साल यूपी और उत्तराखंड से हजारों लोग अपने परिवार के साथ हरिद्वार पहुंचते है और यहीं पर डेरा जमा लेते हैं. इस दौरान ये लोग उम्मीद करते है कि गंगा से उन्हें जो कुछ भी मिलेगा उससे उनके परिवार का पेट भरने का इंतजाम हो जाएगा. गंगा में जल रहे या न रहे वह उनके परिवार का पेट भरने का कार्य करती है. सूखने पर तो जो सोना- चांदी और पैसा मिलता है उससे उनके परिवार का खर्च निकलता है. गंगा की गोद से निकलता है 'सोना'गंगा की खुदाई में निकलने वाला सोना चांदी सरकार के खजाने में नहीं जाता, बल्कि जिसको मिल जाए वो ही उसका मालिक होता है. हरिद्वार में हर की पैड़ी समेत तमाम घाटों पर इन दिनों हजारों लोग सोने-चांदी की तलाश गंगा में कुछ बिनते हुए दिखाई देंगे. पढ़ें- ये लोग हर साल गंगा में पानी कम होने का इंतजार करते हैं. गंगा में सोना-चांदी के तलाश में आए सूरज ने बताया कि वो कई सालों से इस कार्य को कर रहे हैं. पानी कम होने पर हर साल दूसरे राज्यों के लोग भी हरिद्वार पहुंचते हैं. उनकी रोजी-रोटी इसी से चलती है. तीर्थ पुरोहित पंडित उज्जवल ने बताया कि मां गंगा सभी को कुछ ना कुछ देती जरूर हैं. गंगा जब बहती है श्रद्धालु हरिद्वार आते हैं और इसके पंडित, पुजारी और व्यापारी सभी को धनार्जन होता है, लेकिन जब गंगा सूख जाती है तब भी मां गंगा लोग को रोजी-रोटी देती है. बाहर से आने वाले श्रद्धालु मां गंगा में सोना चांदी चढ़ाते हैं. गंगा के सूखने के ये लोगों गंगा में से इसी तरह की वस्तुओं को ढूंढते हैं. जिससे वे अपना परिवार चलाते हैं ၊

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