रिपोर्ट.. संजय जोशी
रानीखेत.. जी रये जागि रये, यो दिन-बार भेटनै रये। धरती जस अगाव, आकाश जस चकव होये, सियक जस तराण, स्यावे जसि बुद्धि हो। दूब जस पंगुरिये। हिमालय में ह्यो, गंगा में पाणी रौन तक बचि रये..। इसी आशीर्वचन के साथ गुरुवार घरों में हरेला पूजन किया गया।
प्रकृति पूजन का प्रतीक हरेला लोक पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। हरेले के साथ ही श्रावण मास और वर्षा ऋतु का भी आरंभ हो गया। हरेले के तिनके ईष्टदेव को अर्पित कर धन-धान्य एवं सुख-समृद्धि की कामना की गई। घरों में पकवान बनाए गए। इससे पहले बुधवार शाम घरों में मिट्टी के शिव, पार्वती, गणेश बनाकर डेकर पूजन की परंपरा निभाई गई।
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