प्रदीप बिजल्वान बिलोचन ने दिये महत्वपूर्ण टिप्स , आप भी पढ़िये


टिहरी : पूर्व में हमारे अंक में प्रदीप बिजल्वान बिलोचन द्वारा को रोना से बचाव के लिए इम्यूनिटी बढ़ाने के उपाय बताये गये थे जो दो अंको में प्रसारित हुआ था और पाठकों द्वारा काफी सराहा भी गया था ၊ इस बार प्रदीप बिजल्वान बिलोचन लेकर आये हैं एक और विशेष अंक चीन जैसे देश को धूल चटाने के लिए उनके द्वारा दिये गये टिप्स ၊
आप भी पढ़िये उन्ही की जुबानी - 
  सबसे पहले देश की जो ज्वलन्त समस्या है  कि , चाइना औऱ भारत जो युध्द के मुहाने पर खड़े हैं हमें भारत के वीर जाबांजों पर पूरा विश्वास है , जिन्होंने हाल ही की मुठभेड़ में मात्र 60 जवानों की संख्या होते हुए दुश्मन के 300 कायर चाइनीज सैनिकों को धूल चटा दी .....
लेकिन भारत के पास जो शस्त्र हैं उनकी तुलना में चाइना के पास हथियार अधिक हैं ...
 भले ही कुछ शक्तिशाली देशों ने कुछ हथियार भेज दिये औऱ कुछ के साथ अनुबंध है लेकिन हमें यह भी ध्यान रखना है कि हमारे साथ केवल चीन ही नहीं बल्कि उसने औऱ भी देशों को हमारे खिलाफ कर दिया ख़ैर वे जरासंध तुल्य चीन के साथ धूल में मिल जायेंगे ၊
 अब जो मेरे जेहन में विचार आया था कि यदि एक नागास्त्र जो ऐसे विमानवाहक युध्दपोत की तरह होगा जिसमें ऐसे विषैले सांप होंगें जो दुश्मनों के ऊपर गिरा उनको दंश दे कुछ ही क्षणमात्र में उनकी जान ले लेंगे पृथ्वी पर नागप्रजाति हर जगह पायी जाती है लेकिन जहां चंदन के जंगल होते हैं वहाँ से इन्हें समेटकर किसी मदारी की भांति रखकर प्रयुक्त किया ज़ा सकता है आवश्यकता पड़ने पर ..
 दूसरा कुछ ऐसे छोटे छोटे शस्त्र जो दुश्मन के समीप पहले एक गैस के ऱूप में फ़िर चिन्गारी देकर अग्नि की ज्वाला दुश्मन के खेमे में बरसा दें ..
 अब बात कुछ रोज़गार की आत्मनिर्भर भारत की ओर बढ़ते क़दम की ...
 हमारे पहाड़ों में ख़ासकर ऊंचाई वाले इलाकों में सुध पानी के तथा अपने में विशिष्ट गुण रखने वाले मीठे और सुस्वादु जल के स्रोत विध्यमान हैं जहां बंद पानी की बॉटल में भरने के लिये प्लांट लगाये ज़ा सकते हैं ओर रोजगार के विकल्प ईजाद किये ज़ा सकते हैं ...
 दूसरा यहां कुछ अवशेष पेड़ों के य़ा वनस्पतियों के मौजूद हैं जिनसे ईंधन बनाया जा सकता है जैसे चीड़ क़ा पिलटू वग़ैरह ...
तीसरा हमारे ही पहाड़ों में कुछ खाद्य पदार्थ ऐसे भी हैं जो अपने आप में पौष्टिक आहार के साथ साथ औषधीय गुण भी रखते हैं जैसे चीड़ के फ़ल के बीज इसके साथ साथ आपकॊ बता दूँ जो हमारे बड़े बुजुर्ग हैं उनको इनकी जानकरी तथा गुणवत्ता मालूम है जो ज्ञान उनका वैज्ञानिको से मिलता जुलता है ....
 कुक्कुट पालन , मत्स्य पालन , भेड़ बकरी , अंगोरा अर्थात खरगोश पालन , मौन अर्थात मधुमखी पालन आदि के द्वारा इस को बेहतर तरीके से अपने अनुभव तथा प्रशिक्षण प्राप्त करने के पश्चात अपने क्षेत्र की आवश्यकताओं को पूरा करने के पश्चात इससे प्राप्त होने वाले बेशकीमती उत्पादों क़ा बाहर निर्यात कर ख़ुद को आत्मनिर्भर बनाने के पश्चात औरों के लिये भी प्रेरणास्रोत बनकर अपने साथ साथ देश को भी आत्मनिर्भरता की ओर  ले जाया जा सकता है ।

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