कृषि संबंधित बिल पर कांग्रेस पार्टी के विचार
रिपोर्ट... ज्योति डोभाल
टिहरी.. कृषि सम्बंधित
बिल पर जिलाध्यक्ष राकेश राणा ने बिचार ब्यक्त करते हुए कहा कि सरकार द्वारा देश के खेत-मजदूर और किसान को गुलाम बनाने का षड्यंत्र किया जा रहा है।
अगर मंडिया खत्म हो गई तो किसान को न्यूनतम समर्थन मूल्य मिलेगा कैसे? देगा कौन? कैसे लेगा किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य? क्या फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया साढ़े 15 करोड़ किसानों के खेत में जाकर न्यूनतम समर्थन मूल्य देकर आयेगी।
मोदी जी क्या आप जानते हैं कि मंडियों में आढ़ती, मजदूर, मुनीम, ट्रांसपोर्टर, भार तोलने वाला, फसल और जमीन की सफाई करने वाला, अनेको लाखों-करोड़ों लोग अपनी आजीविका पालते हैं।
2 फीसदी मार्केट फीस प्रांत मंडियों के अंदर लगाते हैं, जो FCI देती है किसान नहीं, ग्रामीण विकास फंड 2% से 3% लगता है, जिसकी कीमत भी FCI या प्राइवेट खरीददार देते हैं किसान नहीं, प्रांतों की आय छीन लोगे, तो प्रांत कहां जायेंगे?
भाजपा कृषि संबंधित बिल किसानों के साथ लूट को कानूनी रूप देने का काम कर रहे हैं।
इन बिलों में न्यूनतम समर्थन मूल्य की लिखित गारंटी का न होना सरकार की मंशा को उजागर कर रहा है, प्रधानमंत्री अपनी जिद से 62 करोड़ भारतीयों को प्रभावित कर रहे हैं, प्रधानमंत्री देश के हर व्यक्ति के कृषि संबंधित बिलों के विरोध को दरकिनार कर रहे हैं.
प्रधानमंत्री का फैसला देश को गुलामी की तरफ धकेल रहा है।
संसद में कृषि संबंधी विधेयकों को ‘असंवैधानिक' तरीके से पारित किया गया है इसलिए राष्ट्रपति को इन विधेयकों को संतुति नहीं देकर इनको वापस भेजना चाहिए।
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