फेसबुक और प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से जो माहवारी मैं परेशानिया बताई गई थी न्नदा बिष्ट द्वारा उसका असर
रिपोर्ट.... नदीम परवेज
पिथौरागढ़... माध्यमस्त्री, महिलाएं भले ही इस समाज की आधी जनसंख्या का प्रतिनिधित्व करती हों किन्तु सदियों से ही उन्हें इसी समाज ने हाशिए पर ही रखा। अरस्तू जैसे महान विचारक , जिन्होंने सदा ही स्त्री को पुरुष के अधीन समझा से लेकर आज के आधुनिक समाज में अपने अधिकारों के लिए संघर्षरत महिलाओं तक बहुत कम ही ऐसे लोग हुए जिन्होंने महिलाओं के अधिकारों तथा समस्याओं के बारे में ना केवल सोचा ओर समझा बल्कि उसके माध्यम से समाज में एक। परिवर्तन लाने का भी प्रयास किया।
ऐसे ही एक सामाजिक कार्यकर्ता और अपने चित्रों के माध्यम से सामाजिक क्रांति लाने के लिए प्रयासरत व्यक्ति नीरज गेरा जी के बारे में आज हम चर्चा करने जा रहे हैं। जिनकी वैचारिक क्रांति राजधानी दिल्ली से निकल कर कई राज्यों और उत्तराखंड के धरचूला पहुचे नीरज गेरा जी विभिन्न छात्रा विद्यालयों में जाकर विद्यार्थियों से रूबरू हुए। इस दौरान उन्होंने विद्यार्थियों तथा शिक्षकों के मध्य *मासिक धर्म जैसे* संवेदनशील विषय पर चर्चा करते हुए इस बात पर जोर दिया कि यह कोई बीमारी नई बल्कि एक प्राकृतिक प्रक्रिया है।
नीरज जी ने इसके पूर्व भी अपने चित्रों के माध्यम से कई स्तरों पर मासिक धर्म को लेकर जागरूकता फैलाने का कार्य किया है। ज्ञात हो के नीरज गेरा अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त फोटोग्राफर हैं, तथा इनकी सैक्रेड स्टेन नामक फोटोग्राफी आयोजन* ने समाज के हर वर्ग का ध्यान आकर्षित किया था। इनकी संस्था Humanify समाज में हर तरह के भेद भाव समाप्त करने v आमूल चूल परिवर्तन लाने के लिए प्रयासरत है।
धारचूला के जिन विद्यालय का दौरा उन्होंने अपने इस दो दिवसीय कार्यक्रम के दौरान किया इस पूरे कार्यक्रम में उनका साथ और मैनेजमेंट नंदा बिष्ट ने किया जो की एक समाज सेविका के रूप में समाज में महिलाओं के प्रति अधिकारों को प्राप्त करने व भेद भाव समाप्त करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। विशेष सहयोग प्रधानाचार्य महेश जोशी जी जीजीआईसी स्टाफ मोहन सर् बिंन्दु रौकंली ,निहारिका गर्बियाल जीवन बिष्ट आदी का रहा ।
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