लचर स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर किशोर उपाध्याय के नेतृत्व मे कांग्रेसीयों ने किया एक दिवसीय उपवास

रिपोर्ट.... ज्योति डोभाल 

 टिहरी... रविबार को  टिहरी के पूर्व विधायक किशोर उपाध्याय  के नेतृत्व में कांग्रेस ने लचर स्वास्थ्य सेवाओं की बहाली और  सुदृढ़ीकरण के लिए सरकारों के ध्यानाकर्षण वास्ते नई टिहरी जिला अस्पताल के सामने उपवास किया ।


     किशोर उपाध्याय  ने कहा कि मैंने पूर्व में इस प्रदेश के मुख्यमंत्री   एवं  प्रदेश के सभी सांसदों, विधायको,को एक  पत्र के माध्यम से प्रदेश की लचर स्वास्थ सेवाओं के संदर्भ में ध्यानाकर्षण हेतु लिखा था, ताकि तत्काल प्रदेश के अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाएं दुरुस्त हो सके,किंतु खेद है कि  आजतक स्वास्थ सेवामें कोई गुणात्मक सुधार नही हुआ है।

पर्वतीय ही नहीं पूरे राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं का बुरा हाल है, COVID-19 महामारी के इस संकट काल में पर्वतीय क्षेत्र के ज़िला अस्पतालों व स्वास्थ्य केंद्रों का सशक्तिकरण, सुदृढीकरण व सुविधाओं का सृजन ज़रूरी हो गया है।

इस समय ज़िला अस्पतालों में,ऑक्सीजन बैड, वेंटिलेटर, ICU व CCU यूनिट्स का संचालन अत्यावश्क है। 

कहा कि देहरादून , उधमसिंह नगर, हरिद्वार व हल्द्वानी में कोविड मरीजों  को बेड उपलब्ध नहीं हो रहे हैं।

 पर्वतीय क्षेत्र से जब तक बीमार इन अस्पतालों में पहुँचता है, वैसे ही अधमरा हो जाता है, और उसके बाद वहाँ बैड व इलाज न मिलना मेरे विचार से मानवीयता के प्रति अपराध है।

किशोर ने कहा कि मुझे जानकारी मिली है कि प्रदेश के ज़िला अस्पतालों में वेंटीलेटर  पर धूल चढ़ी हुई है।
मानव संसाधनों के अभाव में इन वेंटीलेटर  को उपयोग में नहीं लाया जा रहा है।
यह धन की भी बर्बादी है, और मानव जीवन के साथ भी खिलवाड़ है।

आपने सर्व दलीय बैठक बुलाने का स्वागत योग्य निर्णय लिया है, लेकिन अगर यह सर्व पक्षीय होती तो अधिक सार्थक होती।

गतवर्ष लॉक डाउन के आरंभ में भी मैंने मुख्यमंत्री  का ध्यानाकर्षण किया था, और  स्वयं  भी मिलकर वस्तु स्थिति से अवगत कराया था किंतु कुछ नही हुआ ।

सरकार होती ही इसलिये है ,कि वह अपने राज्य व देश के प्राणियों की रक्षा करे, निवासियों की रक्षा करे।
उनके हाथों को रोज़गार दे, उत्तम शिक्षा व स्वास्थ्य सेवायें दे, आवास की व्यवस्था करे, नहीं तो सरकारों की ज़रूरत ही क्या है?

उन्होंने सरकार से मांग की कि इस संकट काल में सरकार आगे बढ़कर सेवा धर्म निभाये, प्रत्येक परिवार को प्रतिमाह रू. 7000/- दे, सभी क़रों(बैक लोन) की उगाही स्थगित करे, स्कूल फ़ीस पर नया दृष्टिकोण अपनाये, 25% सरकार, 25% शिक्षण संस्थान, 25% कर्मचारी और 25% अभिभावक इस त्रासद काल में भार को वहन करें।

वित्तीय संस्थानों के ऋण पर भी नये दृष्टिकोण की आवश्यकता है, कोविड -19 के बेरोज़गारी के आलम में लोगों ने ढाबे, रेस्टौरेंट, होटल और वाहनों आदि के लिये वित्तीय संस्थानों से ऋण लिये हैं, कोविड - 19 के काल तक इन ऋणों की उगाही स्थगित की जाय और तब तक मॉरटोरीयम अवधि बढ़ायी जाय, जब तक कार्य स्थितियाँ सामान्य नहीं हो जाती हैं।ऋण पर व्याज माफ़ किया जाय।

श्रमिकों व किसानों को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है। मनरेगा की मज़दूरी और कार्य दिवसों को बढ़ाया जाय, किसानों की उपज की सरकारी ख़रीद की व्यवस्था हो और उपज का समर्थन मूल्य बढ़ाया जाय।

यह उपयुक्त समय है, जब राज्य के निवासियों को अरण्यजन/गिरिजन घोषित करते हुये, उनके वनाधिकारों और हक़-हकूक़ों को वापस दिया जाय।

2006 के वनाधिकार क़ानून को लागू किया जाय।

हम कार्बन “न्यूट्रल स्टेट” और ऑक्सीजन प्रदाता राज्य हैं।
हमारा 72% भू-भाग वन क्षेत्र है, अत: नागरिकों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए वनाधिकारों की ओर ध्यान देना होगा, और  इनकी क्षति पूर्ति के रूप में निम्नांकित कार्य करने होंगे:-
प्रत्येक जिला अस्पताल में  50वेंटिलेटर,100ऑक्सीजन बैड,200बैड, ICU, CCU, ब्लड बैंक एवं सभी जीवन रक्षक दवाइयां आवश्यक रूप से मय डॉक्टर्स, मेडिकल स्टाफ सहित24घण्टे उपलब्ध रहे यह सुनिश्चित किया जाय।
 (चूँकि मा.सुप्रीम कोर्ट ने कहा है, कि "स्वास्थ्य पाने का अधिकार हर नागरिक है, ओर यह हमारे प्राण का अधिकार है, जो कि मूलाधिकार है"।)

कोविड-19 की इस महामारी के दौर में हर जिले में ग्राम पंचायत स्तर, नगर पंचायत/नगर पालिका स्तर पर एक एक QRT टीमों (क्विक रिस्पॉन्स टीम)का गठन हो, जो कोविड संदिग्ध व्यक्ति की हर प्रकार से मदद कर सके ।

जो कोविड पॉजिटव लोग अपने घरों में होम क्वारन्टीन है, उन्हें पर्याप्त चिकित्सा उपचार एवं परामर्श भी दिया जाना चाहिए एवं मेडिकल किट उपलब्ध करवाने में अनावश्यक देरी ना की जाय ।

जिले में लेबल1'2'3के अस्पतालों/क्वारीन्टिन सेंटरों में सभी आवश्यकताए चाक चौबंद की जाय, इस हेतु नियमित ड्यूटी चार्ट हर वक्त अपडेट रहे ।

प्रति माह एक रसोई गैस सिलेंडर, बिजली-पानी निशुल्क दिया जाय।

परिवार के एक सदस्य को पक्की सरकारी नौकरी दी जाय व केन्द्र सरकार की सेवाओं में आरक्षण दिया जाय।

साथ ही एक आवास बनाने के लिये लकड़ी, बजरी व पत्थर निशुल्क दिया जाय।

जंगली जानवरों से जन हानि पर 25 लाख रू क्षतिपूर्ति व परिवार के एक सदस्य को पक्की सरकारी नौकरी व फसल के नुक़सान पर 5000 रू प्रतिनाली क्षतिपूर्ति दी जाय।

जड़ी-बूटियों पर स्थानीय समुदाय का अधिकार हो।

किशोर ने कहा कि आशा है, सरकार  उपरोक्त पर सकारात्मक निर्णय लेगी. 
इस मौके पर 

                  
किशोर उपाध्याय, राकेश राणा,  जिलाअध्यक्ष,  शान्ति प्रसाद भट्ट पूर्व जिलाध्यक्ष, आनंद सिंह बेलवाल पूर्व अध्यक्ष जिला बार एसोसिएशन,  मुशर्रफ अली,  देवेंद्र नोडियाल शहर अध्यक्ष,  नवीन सेमवाल, सतीश चमोली,  लखबीर चौहान,  दीपक चमोली, मोहित रावत उपस्थित रहे. 

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