रिखणीखाल सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बना रेफर सेंटर
Team uklive
रिखणीखाल : रिखणीखाल सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र केवल रेफर सेंटर बन कर राह गया है.
आये दिन रिखणीखाल सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में कुछ न कुछ घटना व चहल पहल होती रहती है।ये पूरा उत्तराखंड भली भांति जानता है।
अब हम आपको ले चलते है,प्रसिद्ध ताडकेश्वर महादेव के नजदीक बसा एक ऊँची चोटी पर स्थित गाँव" अंगणी" इस गाँव की एक गर्भवती महिला प्रिया चौहान पत्नी सतपाल सिंह चौहान को अचानक 24/04/2021की रात्रि 11 बजे प्रसव पीड़ा हुई तो तुरंत महिला को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रिखणीखाल पहुँचाया गया जो कि इस गाँव से लगभग बीस किलोमीटर दूर पीछे की तरफ पडता है। रिखणीखाल पहुँचने पर महिला का रक्तचाप नापा गया जो 107/110 था जो उन्हे ज्यादा लगा तथा आनन फानन में महिला को दो अन्य पुरुष कर्मचारियो के साथ 108 सेवा से संयुक्त चिकित्सालय कोटद्वार के लिए रैफर कर रवाना किया गया।
इस वाहन में दोनों पुरुष कर्मचारी थे जबकि महिला नर्स नही भेजी।इस बीच रिखणीखाल कोटद्वार मार्ग पर गाँव जलेथा चुन्डयी के पास महिला ने नवजात शिशु को जन्म दे दिया।प्रसव पुरुष कर्मचारी ने ही कराया।जबकि महिला के पति सतपाल सिंह चौहान ने रिखणीखाल में ही चिकित्साधिकारी से मांग की थी कि महिला नर्स भी भेजिए लेकिन टरका दिया गया। महिला के साथ कोटद्वार अस्पताल में उसके पति व सास भी गयी है।महिला संयुक्त चिकित्सालय कोटद्वार में भर्ती है।अब मजेदार बात देखिए महिला को कोटद्वार अस्पताल में भर्ती हुए 36 घंटे से ज्यादा समय हो गया लेकिन अभी तक कोई डॉक्टर देखने तक नहीं आया।अब इससे अच्छी चिकित्सा क्या हो सकती है? सरकार चाहे लाख दावे कर ले ,कितना भी बजट जारी कर दे ,कितने भी भाषण,व्याख्यान,विज्ञापन छाप ले ,उत्तराखंड की स्वास्थ्य व्यवस्था ढर्रे पर आने वाली नही है।कितने भी डॉक्टर तैनात कर लो।रिखणीखाल नहीं सुधरेगा।
स्थानीय नागरिकों का कहना है अभी रिखणीखाल के भाजपा मीडिया प्रभारी व जन सम्पर्क अधिकारी विधायक के तारीफो के पुल बांध रहे थे कि विधायक जी की कृपा से रिखणीखाल में तीन डॉक्टर और आ गये है।कहाँ गये वे डॉक्टर?
कितने भी डॉक्टर लगाओ ।रिखणीखाल बोल रहा है कि मै नहीं सुधरने वाला।क्या कर लोगे मेरा?
एक बात और जानकारी में आयी है कि रिखणीखाल मे स्वास्थ्य विभाग से जुड़ा एक अधिकारी शिकायत कर्ताओ को धमका रहा है कि आपने रिखणीखाल को बदनाम कर दिया वे कहते है कि जब हमें संसाधन व उपकरण ही नही मिलते तो हम क्या कर सकते है?
अब इस दशा व दिशा में इस स्वास्थ्य केंद्र को बन्द करने में ही भलाई है।इतने अधिकारी व कर्मचारी नियुक्त करने का क्या फायदा।इसे सिर्फ 108 एम्बुलेंस का गैरेज रखो या ट्रान्जिट कैम्प।
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