किसानोपयोगी पुस्तिका ’औषधीय मशरुम गैनौडर्मा ल्यूसिडम का उत्पादन’ का हुआ विमोचन
रिपोर्ट : ज्योति डोभाल
टिहरी : उत्तराखण्ड़ औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, भरसार के कुलपति प्रो0 अजीत कुमार कर्नाटक द्वारा वानिकी महाविद्यालय रानीचौरी के वैज्ञानिकों द्वारा लिखित किसानोपयोगी पुस्तिका ’औषधीय मशरुम गैनौडर्मा ल्यूसिडम का उत्पादन’ का विधिवत विमोचन किया गया। कार्यक्रम का आयोजन कोविद-19 के नियमों का पालन करते हुये वानिकी महाविद्यालय रानीचौरी, टिहरी गढवाल के सभागार में किया गया।
’औषधीय मशरुम गैनौडर्मा ल्यूसिडम का उत्पादन’ नामक शीर्षक इस पुस्तिक को वानिकी महाविद्यालय रानीचैरी के कृषि-वानिकी विभाग के विभागाध्यक्ष डा0 अरविन्द बिजल्वाण, डा0 अमोल वशिष्ठ, कल्पना बहुगुणा, डा0 अलंकार सिह, सुमित चैधरी, देवेन्द्र सिंह एवं गौरव कोठारी द्वारा लिखा गया। यह पुस्तिका जी0 बी0 पंत राष्ट्रीय हिमालयन पर्यावरण एवं सतत विकाश संस्थान, अल्मोड़ा, उत्तराखण्ड (एन0 एम0 एच0 एस0, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार) द्वारा वित्त पोषित परियोजना-औषधीय मशरुम गैनौडर्मा ल्यूसिडम का गढवाल हिमालय में जलवायु समुत्थानशील के मध्येनजर जीविकोपार्जन हेतु उत्पादन के अन्तर्गत लिखी गयी है।
इस गैनौडर्मा परियोजना का संचालन वानिकी महाविद्यालय, रानीचौरी, टिहरी गढवाल एवं सेन्टर फार बिजनेस एण्ड इन्टरप्रिन्योरशिप डेवलेपमेंट (सीवेड), देहरादून द्वारा संयुक्त रूप से किया जा रहा है। पुस्तिका में औषधीय मशरुम गैनौडर्मा ल्यूसिडम के उत्पादन से सम्बन्धित किसानों हेतु समस्त जानकारियों का समावेश किया गया है।
पुस्तिका के विमोचन के अवसर पर भरसार विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 अजीत कुमार कर्नाटक नें कहा कि गैनौडर्मा ल्यूसिडम एक औषधीय मशरुम है जिसकी भारत एवं विश्व मे अत्यधिक मांग है तथा वानिकी महाविद्यालय रानीचैरी मेंगैनौडर्मा ल्यूसिडम पर शोध किया जा रहा है एवं परियोजना क्षेत्र में किसानो के माध्यम से इसे उगाया जा रहा है।
प्रो0 कर्नाटक नें कहा कि गैनौडर्मा ल्यूसिडम एक अत्यन्त महत्वपूर्ण औषधीय मशरुम है जिसका कि बाजार मूल्य अच्छा है एवं किसान भाई इससे अच्छा पैसा कमा सकते हैं। पुस्तिका विमोचन के अवसर पर विश्वविद्यालय के निदेशक प्रसार डा0 सी0 तिवारी ने भी गैनौडर्मा ल्यूसिडम मशरुम को किसानों की आय बढानें के किये उपयोगी बताया। इस अवसर पर वानिकी महाविद्यालय रानीचैरी के संकाय सदस्य एवं वैज्ञानिक डा0 अजय यादव, डा0 लक्ष्ती रावत, डा0 चतर सिंह धनाई, डा0 आर0 रस0 बाली, डा0 इन्द्र सिंह, डा0 पदम सिंह, डा0 शिखा, डा0 रीना जोशी, डा0 पंकज कुमार, डा0 दीपा रावत, डा0 कीर्ती कुमारी, ई0 सौरव मिश्रा एवं परियोजना के शोधार्थी कलप्ना बहुगुणा, देवेन्द्र सिंह एवं गौरव कोठारी आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम का आयोजन कोविद-19 के नियमों का पालन करते हुये वानिकी महाविद्यालय रानीचौरी के सभागार में किया गया।
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