नौ दिनों तक चले पांडव नृत्य कार्यक्रम का हुआ समापन

 Team uklive


टिहरी : पौराणिक परम्परा को जीवित रखते हुये मण्गाव न्याय पंचायत के सम्लित गाव मे से बमण गाव मे नो दिनो  से चली आ रही पौराणिक पाण्डव नृत्य जिसमे पंचम दिवस धर्ममाता कुन्ती व पाच पण्डो का अवतरण व सप्तम दिवस पर माँ काली पूजन, आठवे दिन धर्म माता कुन्ती व पांचो पांडवो के साथ सभी सम्मिलित गाव के लोग गंगा स्नान करने गये. 

 इसी अवसर पर रास्ते मे गाव के लोगो ने पांडवो के पश्वाओ को खाजा-भूजा, बुखणा,खील-बतासे, मेवा-मिस्ठान,दूध, दही, घी, मख्खन, हलवा , फल, गेठी-बेबर, भुने हुये गेहू,भुने हुये सोयाबीन, आदी-आदी खाने को दिये व धर्म माता को भेट दी साथ ही माता कुन्ती के साथ पांडवो से पीठाई अक्षत व आश्रीवाद  प्राप्त किया व नवम दिवस के अवसर पर पूजा स्थल बमण गाव मे उपस्थित समस्त जनमानस ने धर्म माता कुन्ती का आश्रीवाद पीठाई-अक्षत व भंडारे का प्रसाद प्राप्त किया।

इस तरह नो दिनो तक चले आ रहा कार्यक्रम हुवा संपन्न, घण्टाकरण धाम के मीडिया प्रभारी नरेन्द्र बिजल्वाण ने जानकारी देते हुये बताया महाभार्ती पण्डित मनोहारी लाल बिजल्वाण के द्वारा कार्यक्रम मे उपस्थित समस्त जन मानस को पण्डवो के द्वार अपने पौत्र परीक्षित को राजगद्दी सोपने के बाद जब  पाण्डव द्रोपति सहित उत्तर दिशा की ओर चलने पर हरिद्वार पहुच कर स्नान किया और फिर हरिद्वार,ऋषिकेश,देवप्रयाग होते हुये रुद्रप्रयाग प्रथम पडाव रहा.
 द्वितीय पड़ाव अनेको पर्वत लांघते हुये बेन्वती पर्वत पर दूसरा विश्राम लिया.
 आगे-आगे चलते हुये तृतीय विश्राम  ऋषिगण  पर्वत लिया, इसी कर्म मे अग्नी शिखा पर्वत पर द्रोपदी ने शरीर त्याग दिया. 
यही पर चौथा पड़ाव लिया.
 पंचम पड़ाव अनग शिला पर रहा यहा इस शिला पर सहदेव ने शरीर त्याग दिया, छटा पड़ाव कूर्म शिला पर लिया यहा पर नकुल ने देह त्याग दी.
 आगे चलते-चलते गोमती शिला पर अर्जून ने देह त्याग दी यहाँ  पर सातवा पड़ाव रहा.
अब वेतवती  शिला पर भीम ने भी देह त्याग दी यही आठवें पड़ाव लेते हुये अब धर्मराज के साथ एक श्वान और धर्मराज युधिष्ठिर आगे चलते-चलते सतोपंथ सरोबर पर पहुचे, यही सप्त (सोपान) स्वर्गारोहणी सतोपंथ तक की विस्तृत बार्ताये महभार्ती द्वारा सुनायी गयी. 
यहां पर सात सीड़ियो काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार, ईर्ष्या , द्वैस रुपी सिड़ियौ पर विजय प्राप्त करते हुये धर्मराज युधिष्ठिर  स:शरीर दिब्य विमान के द्वारा स्वर्ग जाने का बृतात/ बार्ता पण्डित मनोहरी लाल बिजल्वाण जी ने अपने मुखार बिन्दु से सुनाया. 


पण्डित अनिरुद्ध मैठाणी के द्वारा बमणगाव, थन्यूल, खुड्कीधार, भाटोली, प्लोगी, पोखरी, बमणखोला, मणगाव, सौटियालगावँ, अन्दृफी गाव,दंदेली, कन्ड़ारीगाव के सामुहिक पूजा यज्ञ सम्मपन्न कवाया गया.  
ढोल सागर के ज्ञाता हुक्कम दास,  भग्तू दास, समलित ग्राम सभाओ के प्रधान, क्षेत्र पंचायत सदस्य ,पूर्व  प्रधान के साथ-साथ घण्टाकरण धाम के सास्कृतिक सचिव एव पण्डो मंडाण के समापन कार्यक्रम के संयोजक लोक गायक  विनोद बिजल्वाण,घण्टाकर्ण  धाम के अध्यक्ष विजय प्रकाश बिजल्वाण,अध्यक्ष मंडी समिति नरेन्द्रनगर वीर सिह रावत, अध्यक्ष मंडाण समिति ईश्वरी बिजल्वाण,बुद्धि सिह रावत,दर्शन लाल बिजल्वाण,अशोक बिजल्वाण,डॉ0 राम प्रसाद गैरोला,सुन्दर सिह राणा,सत्य सिह राणा, दीपक बिजल्वाण,अखिलेश बिजल्वाण, जग्तम्बा प्रसाद बिजल्वाण , राकेश चौहान,चंदन सिह चौहान,जोत सिह आसवाल , दिनेश बिजल्वाण, राम प्रसाद बिजल्वाण, हुक्कम सिह रावत, दयाल सिह रावत,राजेन्द्र बिजल्वान,भास्करानन्द बिजल्वाण,धूम सिह चौहान,किशोरी मद्वाण,पूर्ण सिह राणा,मग्ला नंद नौटियाल,भक्ति प्रसाद घिल्डीयाल,लक्षमण सिह रावत,पूर्णा नंद बिजल्वाण,जीतार सिह गुसाई,चंदन सिह चौहान,लोकन्द्र बिजल्वाण,रादी राम सेमल्टी,पिताम्बर दत्त बिजल्वान,भगवान सिह रावत,प्रदीप बिजल्वाण, रवीद्र राणा,सुरेन्द्र दत्त बिजल्वाण,भक्ति प्रसाद बिजल्वाण,बुद्धि सिह राणा,जयदेव बिजल्वाण,दीपक बिजल्वाण साथ मे सम्लित गावो की सभी ध्याणी व रिस्तेदारो की उपस्थिति के साथ-साथ क्वीली पट्टी की जनता शामिल रही. 

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