टिहरी बांध के ऊपर से "आवाजाही" का समय शाम छः बजे तक सीमित करने पर केंद्रऔर राज्य की भाजपा सरकार और उनकी मातहत एजेंसियों की कड़ीआलोचना होनी चाहिए:-शान्ति प्रसाद भट्ट
Team uklive
टिहरी : उतराखण्ड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता, एडवोकेट शान्ति प्रसाद भट्ट ने एक प्रेस बयान जारी करते हुए केंद्र और राज्य की भाजपासरकार और उसकी मातहत एजेंसियों की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि "टिहरी जिले की आधी से अधिक आबादी टिहरी बांध के ऊपर से "आवाजाही" करती आ रही है, किँतु केंद्र सरकार की एजेंसिया thdc और cisf मिलकर मनमाने ढंग से बांध के ऊपर सेआवाजाही का समय बिना किसी पूर्व आमसूचना के घटा देतीहै,जिससे जनसामान्य को अत्यंत कष्ट से गुजरना पड़ता है, प्रतापनगर, घनसाली, जाखणीधार,कीर्तिनगर, श्रीनगर, देवप्रयाग आदि इलाकों के सैकड़ो नागरिक रोज आवाजाही करते है,किँतु ये एजेंसियां लगातार स्थानीय नागरिकों को परेशान करती है, और समय को बिना सूचना के बदल देती है,जिससे लोगों को अपने गंतव्य तक पहुंचने में अनावश्यक का विलम्ब होता है।
उतराखण्ड से भाजपा के पाँचो साँसद और विधायक इस जनहित के महत्वपूर्ण विषय पर हमेशा मौन रहते है,जो कि निंदनीय है!
श्री भट्ट ने भारत निर्वाचन आयोग से आग्रह किया है कि विधानसभा निर्वाचन 2022 को निर्विघ्न सम्पन्न करवाने के लिए विभिन्न तैयारियो में इस विषय को भी प्रमुखता से अपने एजेंडे में रख कर इन एजेंसियों को सख्त निर्देश देना चाहिए कि विधानसभा निर्वाचन में आदर्श आचार संहिता शुरू होते ही बाँध के ऊपर से आवाजाही का समय सुबह 5:0 बजे से रात्रि 12:0बजे तक आमजन के लिए खुला रखा जाय सुरक्षा मॉनको की पुख्ता जाँच के बाद आने जाने दिया जाय,ताकि जिला मुख्यालय या अन्य गंतव्यों को आने जाने में किसी को कोई परेशानी ना हो,ताकि विधानसभा निर्वाचन निर्विघ्न सम्पन्न हो ।
श्री भट्ट ने यह भी कहा कि बाँध के ऊपर से आवाजाही में THDC और CISF नागरिकों के बीच विभेद करती है, कुछ खास लोगो को किसी भी वक्त आने जाने के लिए अनगिनत पास निर्गत किये गए है, जबकि आम नागरिकों को इस सुविधा से वंचित किया गया है, यह एक प्रकार से मनमाना व्यवहार है, इस मनमाने व्यवहार की इजाजत भारत के सँविधान में नही है सँविधान में नागरिकों को प्रदत्त उनके मूलाधिकारों का हनन है, यदि इन एजेंसियों ने अपना रवैया नही बदला और आवाजाही में नागरिको के बीच विभेद खत्म नही किया तो हमे माननीय उच्च न्यायालय नागरिकों के मूलाधिकारों की रक्षा के लिए गुहार लगानी पड़ेगी।
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