दारू की बोतल में दम है : कवि:सोमवारी लाल सकलानी, निशांत


नेता अपने थके हुए हैं,

मै कैसे मनाऊंगा होली।

शेहरा सर बंधा आपके,

तुम खूब मनाओ होली।

                      बुरा न मानो होली है!

दारू की बोतल में दम है,

मिल खूब मनाओ होली।

सरे आम जली होलिका,

हरे कृष्ण तक ना बोली।

                       बुरा न मानो होली है!

जला यूक्रेन धू -धू करके,

नाटो खोटों की भी होली।

पुतिन होलिका दहन किया,

बाइडेन खूब खेलें होली।

                        बुरा न मानो होली है!

मोदी ममता मान व जोगी,

मिलकर खूब मनाएं होली।

दिल्ली से पैगाम ना आया,

यहां फीकी पड़ गई होली।

                        बुरा न मानो होली है!

पिचकारी में रंग भरा है,

किसके संग खेलें होली?

यहां होलिका दहन हुआ,

जापान में धरती डोली।

                        बुरा न मानो होली है!

मै मांद में आज हूं सोया,

अब युवक मंनाएं होली।

रंग गुलाल भगवा तन है,

तुम खूब मनाओ होली।

                         बुरा न मानो होली है! 


(कवि कुटीर)

सुमन कालोनी चंबा, टिहरी गढ़वाल।

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