गढ़वाली मे शादी कार्ड छापकर दी मिसाल

रिपोर्ट : वीरेंद्र नेगी 



उत्तरकाशी:  सोशल मीडिया पर अगर ऐसे शुभ संदेश वायरल हों तो अच्छा लगता है। गढ़वाली में लिखा गया शादी का ये कार्ड एक अच्छी कोशिश है.

आज के दौर में कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो सिर्फ संस्कृति को बचाने की बात नहीं करते बल्कि इसके लिए धरातल पर अपनी तरफ से अच्छी कोशिशें कर रहे हैं। अब सोशल मीडिया पर इसके शुभ संकेत दिख रहे हैं। इन्हीं में से एक है गढ़वाली बोली में लिखा हुआ शादी का ये कार्ड।


ग्राम मातली के निवासी सुलोचना  देवी एवं राजेश  के  सुपुत्र राहुल की शादी का ये कार्ड है। परिवार के सबसे बड़े बेटे की शादी है। सुलोचना देवी  पेशे से ग्राम मातली घटिया मैं आंगनवाड़ी सहायिका है एवं राजेश लाल उत्तराखंड होमगार्ड पुलिस में तैनात है। दूल्हा राहुल भी ग्रामीण निर्माण विभाग, उत्तरकाशी में अपर सहायक अभियंता के पद पर तैनात हैं। उनकी अपनी भाषा/बोली से यह प्रेम  काबिले तारीफ है ।

राहुल के पिता ने गढ़वाली भाषा मैं लिखे इस कार्ड को अपने खुबसूरत शब्दों से सजाया है। उनका यह कार्य लाखों लोगों के लिए प्रेरणादायक है।जो अपनी भाषा संस्कृति को बचाने के लिए इतना खूबसूरत प्रयास करते हैं।


अपनी बोली और भाषा बचाने का इससे बेहतर तरीका क्या हो सकता है? आज का युवा जागरूक है और इस तरह की छोटी-छोटी कोशिशों से अपनी संस्कृति को बचाने के लिए कुछ किया जा सकता है.वरना सोशल मीडिया पर वायरल करने के लिए तो बहुत कुछ है। कुछ अच्छे संदेश और संकेत सोशल मीडिया पर वायरल होने चाहिए यकीन मानिए बहुत कुछ बदल सकता हैं।


देणा होया खोली का गणेशा हे, दैणा होया मोरी का नारैणा देणा होया ईष्ट, कुल, पित्र देवा, दैणा होया बाबा काशी विश्वनाथ ॥


              नौन्यालु कु रैबार


आस लगी रैली टकटकी सी हमारी जिकुड़ी आँखी कनी रैली जग्वाल । "मेरा चाचा/ मामा का ब्यों मा जरूर ऐया घौर मा हमरा ह्वै जाली बग्वाल।


'हे दीनबंधु भगवंत विनती सुणा हमारी, सिम्मी अर राहुल का ब्यो मां किरपा रलि तुुमारी। ये ब्यौ बंधन की शुभ घड़ी मां आप जना किरपालु सज्जन ब्यौला-ब्यौंली ते आशीष देण आला..अर मेरू घर अपणा चरणों से पवित्र करला।' साधारण से शादी का कार्ड छपा है। आपको न्यौता मिला है। शादी के कार्ड की जगह इसे ब्यौ की चिट्ठी कहा जाए तो ज्यादा बेहतर है। ये कार्ड शुद्ध गढ़वाली बोली में छपवाया गया है।


इस शादी के कार्ड में  चार चांद लगाने के काम किया है इस कार्ड में  गढ़वाली में  लिखे एक शायरी ने जो आप सभी का दिल मोह लेगी।


भेजणु छौं ब्यो कु रैबार दिल सि याद करि हमु तें फिर नि ब्यौलिया कि याद नि करि

बिसरी ना जाया तुम मेरा ब्यों मां ओणा की,

नितर ना ब्वोलिया कि मैमा बात नि करि


इस कार्ड को छपवाने का मुख्य मकसद उत्तराखंड की संस्कृति को बचाना है। अब आप भी शादी का ये पूरा कार्ड एक बार देख लीजिए।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें