विश्व जल दिवस पर प्राकृतिक जल स्रोतों का अध्ययन व जल संरक्षण पर जीआईसी भंकोली में मंथन किया गया

रिपोर्ट : वीरेंद्र नेगी 


उत्तरकाशी : अस्सी गंगा घाटी के राजकीय इंटर कालेज भंकोली में विश्व जल दिवस पर इस वर्ष की थीम 'भू-जल: अदृश्य से दृश्यमान बनाना' पर कार्यक्रम आयोजित किया व जल स्रोतों के संरक्षण के लिए संकल्प लिया गया। स्लोगन लिखने के साथ छात्रों को निकट जल स्रोतों का भ्रमण कराकर उन्हें जल संबंधित विविध जानकारी दी गई। 

इस अवसर पर विज्ञान शिक्षक डा. शम्भू प्रसाद नौटियाल ने घटते जलस्रोतों के कारणों का उल्लेख करने के साथ कहा कि प्राकृतिक जल स्रोतों के संरक्षण के लिए मनुष्य की अनावश्यक दखल अंदाजी को रोककर वनीकरण को बढ़ावा दिया जाना चाहिए क्योंकि जीव जंतुओं के लिए जल प्रमुख आवश्यकताओं में एक है इसके बिना सभी जीवधारियों का अस्तित्व समाप्त होने में बक्त नहीं लगेगा। हालांकि धरती के करीब तीन चौथाई हिस्से पर पानी ही पानी बसा है, जो महासागरों, बर्फ, झीलों, नदियों और झरनों के रूप में उपलब्ध है लेकिन इसमें से एक फीसदी से भी कम पानी ही ऐसा है, जो पीने लायक है। इसलिए ये काफी जरूरी हो जाता है कि हम पीने लायक पानी की बचत करें, ताकि भविष्य में पानी का गंभीर संकट खड़ा न हो तथा प्राकृतिक जलस्रोतों को पुनर्जीवित करने के लिए ठोस पहल जरुरी है। 


प्रधानाचार्य कामदेव सिंह पंवार ने कहा कि जल संरक्षण पानी के अनावश्यक उपयोग को कम करना और कुशलतापूर्वक पानी का उपयोग करने की तरीका है। साथ ही जल संचय करना, जैसे वर्षा के जल को स्थानीय आवश्यकताओं और भौगोलिक स्थितियों की आवश्यकतानुसार संचित करके हम भू-जल भंडार को बड़ा सकते है।


 इस अवसर पर शिक्षक सुदीप रावत, सेवाराम पोसवाल, अनुपम ग्रोवर, सुभाष कोहली, स्पन सिंह, दीपेंद्र, पिंकी बहुगुणा, मनीषा राणा, अर्चना पोलीवाल आदि सहित छात्र-छात्राएं मौजूद थे।

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