Team uklive
एक समय था जब CPM का एक क्षत्र राज्य रहा पश्चिम बंगाल मे ..! CPI को भी राष्ट्रिय-पार्टी का दर्जा रहा ..यहां तक कि उत्तराखण्ड के कुछ क्षेत्र को लाल-घाटी तक कहा जाता था ... ! विशालकाय जीव डाइनासौर इस धरती से विलुप्त हो गया क्यूंकि वो समय के साथ अपने को बदल नहीं पाया .!.कुछ वैसे ही हाल CPI/ CPM के भी रहे और अब लगता है कि कांग्रेस भी उसी रास्ते पर चल दी है ..! वो लगातार जनता मे प्रासंगिकता खोती जा रही है ..! राज्य दर राज्य उसकी सत्ता से बाहर निकल रहे हैं ..! वोट प्रतिशत भी घटती जा रही है .. ! आलाकमान की छवी जनता मे नकारात्मक बनी हुई है ..! वहीं नेता जनता के सामने हैं ज़िनकी छवि बहुत खराब है और तो और अधिक-तर निर्णयकर्ता भी वो लोग हैं जो खुद का ना तो चुनाव जीत सकते हैं ना कोई बौद्धिक क्षमता दे सकते हैं, ना कोई अच्छा प्लानर दिख रहा है ना , मीडिया मे जो चेहरे दिखाई देते हैं वो सिर्फ दोषारोपन पर विश्वास करते हैं ..
कांग्रेस के अनुसंगिक संगठनो चाहे सेवा-दल हो या NSUI हो या युथ कांग्रेस ..! उनकी उपस्थिती जनता मे शुन्य के बराबर हो गयी है ..!
पूरी पार्टी को देख ऐसा लगता है कि पार्टी ना हो कर कुछ लोगों का समुह बन गया है कि जो इवेंट मैनेजमेंट करके और उल्टे- सीधे डाटा देकर खुश हो जाते हैं ..!
उत्तराखण्ड को ही ले लिजिये ..! इतने पुराने नेताओं से सजी-धजी पार्टी को यही नहीं पता था कि उसे 20 सीट भी नहीं मिल रही ..! पर लडाई कौन बनेगा मुख्यमंत्री पर जारी थी ! हेरफेर सर्वेक्षण डेटा से खुद की जीत दिखाया जाता रहा है , ये दिखाने की कोशिश की कि वही हैं जनता की पहली पसंद.! जमीनी कार्यकर्ता लगभग खत्म हैँ और नेताओं का प्रभाव जनता मे लगभग खत्म सा दिख रहा है ..!
वर्तमान मे जिस तरह से पार्टी के अंदर ही घमासान मचा हुआ है ..!
ये सब देख कर लग रहा है कांग्रेस की जनता मे बची कुची स्विकारीयता लगभग खत्म होने के कगार पर है ...!
देखते रहिये ..बचा कुचा सत्य 2024 के सांसद के चुनाव मे दिखाई दे जायेगा
CA राजेश्वर पैन्यूली
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