स्वछ गंगा निर्मल गंगा कागजो तक सीमित देखने को मिलती हैं. नमामि गंगे का स्लोगन खाना पूर्ति.

रिपोर्ट : वीरेंद्र नेगी 


उत्तरकाशी : स्वछ गंगा निर्मल गंगा व् गाय को गौ माता का दर्जा दिया गया हैं भारत वर्ष में. इस प्रक्रिया पर सरकार कई प्रकार के कार्य करती दिखती हैं. हिन्दू सभ्यता के अनुसार गाय व् गंगा को माँ का दर्जा देकर कई वर्षो से इन्हे पूजा जाता रहा हैं. 


भागीरथी का उद्द्गम स्थल गंगोत्री जो उत्तरकाशी जिले में आता हैं. जंहा पहाड़ो से कई प्रकार कई छोटी -बड़ी नाले जिसे शुद्ध जल माना व् कहा जाता हैं. जिसका सेवन यंहा के पहाड़ी लोग पीने के करते हैं. इन धाराओं का विलय भागीरथी में होता हैं. भागीरथी में विलय होते ही इन्हे माँ का दर्जा व् पूजा भी जाता हैं.


नमामि गंगे के नाम पर कई बार गंगा सफाई चलाया जाता हैं. जिसमे यह संदेश दिया जाता हैं. माँ गंगा अपने मायके में बहुत शुद्ध हैं. इस शुध्दता के कारण कई प्रांतो व् विदेशो से कई श्रदालु  भागीरथी (माँ गंगा )के दर्शन के लिए आते हैं. 


बात करे माँ गंगा (भागीरथी )व् गाय (गौ माता )कि. तो जितनी शुद्ध माँ गंगा व् गौ माता को दिखाया जाता हैं. वो सब बाते कागजो व् भाषणों तक सिमित दिखता हैं. मुख्यालय से मात्र चार कि.मी पर अस्सी गंगा बह रही हैं. जो भागीरथी (गंगा )में मिलती हैं. कई दिनों से अस्सी गंगा के बीच में एक गाय शव पड़ा हैं. अभी तक गाय को नहीं निकाला गया हैं. जो अस्सी गंगा व् गंगा को दूषित करता दिख रहा हैं. इस पर संबंधित विभाग को पता हैं या नहीं. या विभाग मुँह फेरे बैठा हैं.

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