ग्लेशियर लेडी शांति ठाकुर ने रक्तवन की पहाड़ियों से जड़ी बूटी निकालने की इजाजत देने पर उत्तराखंड सरकार पर उठाये सवाल. कहा सरकार जनता की है या अकेले बाबा रामदेव की

रिपोर्टर : वीरेंद्र नेगी 


उत्तरकाशी : ग्लेशियर लेडी शांति ठाकुर ने रक्तवन की पहाड़ियों से जड़ी बूटी निकालने की इजाजत देने पर उत्तराखंड सरकार पर उठाये सवाल. कहा सरकार जनता की है या अकेले बाबा रामदेव की. 


ग्लेशियर लेडी के नाम से जाने जाने वाली शान्ति ठाकुर ने गंगोत्री धाम पहुंचे उत्तराखंड मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी व् बाबा रामदेव को लेकर प्रेस वार्ता की. जिसमे उन्होंने उत्तराखंड सरकार पर गंभीर आरोप लगाए.ग्लेशियर लेडी शांति ठाकुर ने कहा. उत्तराखंड सरकार व् बाबा रामदेव उत्तराखंड की पहाड़ियों को नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रहे है. जिसे हम ऐसा नहीं होने देंगे.बाबा रामदेव के अनुसार चल रही है क्या सरकार. 



ग्लेशियर लेडी के नाम से चर्चित शांति ठाकुर ने गंगोत्री हिमालय के रक्तवन में आचार्य बालकृष्ण के संयुक्त संजीवनी खोज और शोध

अभियान पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि हिमालयी क्षेत्र में इस तरह का अभियान प्रतिबंधित होता है.सरकार द्वारा बाबा रामदेव को ये छूट देना गलत है.आम जनता को जिस प्रकार जड़ी बूटी लाने मे प्रतिबंध है उसी प्रकार किसी को भी ऐसी छूट नहीं देनी चाहिए. इससे हिमालयी ग्लेशियरों को नुकसान पहुंचने के साथ ही अवैध जड़ी-बूटी के साथ छेड़ छाड़ करना गलत है. सरकार को इसे गंभीरता से लेना चाहिए। 




शांति ठाकुर ने प्रेस वार्ता मे कहा कि रक्तवन में संजीवनी की खोज महज जनता को बहलाना है बाबा रामदेव कोइन जड़ी बूटी को निकाल कर इस पर व्यापार करना है. ये कदम सिर्फ एक बिजनेस की सोच से प्रेरित है.ग्लेशियर लेडी ने कहा पतंजलि योगपीठ के  बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण के तत्वाधान में एनआईएम के साथ मिलकर रक्तवन में गए अभियान दल को जड़ी बूटी खोज और शोध के लिए सरकार की तरफ से परमिशन देना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है.इस तरह के अभियानों से हिमालयी ग्लेशियरों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है, जिससे आने वाले समय में संपूर्ण पारिस्थितिकी खतरे में आ सकती है।


ग्लेशियर लेडी ने कहा कि पर्वतीय क्षेत्र ईको सेंसिटिव जोन भी घोषित है, बावजूद इसके नियमों को ताक पर रखकर गैर कानूनी तरीके से दल को रवाना किया गया.कहा कि अगर सरकार पतंजलि को हिमालय में जड़ी-बूटी खोज और शोध की परमिशन दे सकती है, तो स्थानीय युवाओं को भी अनुमति मिलनी चाहिए.  22 वर्षों से ग्लेशियरों की संरक्षण की आवाज उठा रही हैं ग्लेशियर लेडी . उन्होंने राष्ट्रपति को भी ज्ञापन भेजा है. वार्ता में कल्पना ठाकुर, राजेश डोभाल, कमला, उर्मि देवी, गंगा, मीना थे.



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