Team uklive
टिहरी : वी.च.सिं.ग.उत्तराखण्ड औद्यानिकी एवं वानिकी महाविद्यालय, रानीचौरी के अन्तर्गत चल रही अखिल भारतीय समन्वित शोध तन्त्र- क्षमतावान फसल परियोजना का निरीक्षण परियोजना के समन्वयक डा0 हनुमान लाल रैगर, भा.कृ.अनु.प.- राष्ट्रीय पादप आनुवंाशिक संसाधन ब्यूरो, नई दिल्ली, भारत सरकार द्वारा दिनांक 01.10.2022 को किया गया। रामदाना, कुट्टू, भंगजीर, कोएक्स इत्यादि फसलों पर चल रहे फसल सुधार, जननद्रव्य परीक्षण व सस्य तकनीकों के विकास से सम्बन्धित शोध कार्यों के बारे में परियोजना के वैज्ञानिकों डा0 अजय कुमार व डा0 पंकज कुमार द्वारा परियोजना के समन्वयक को अवगत कराया गया। क्षमतावान फसलों पर वानिकी महाविद्यालय व शोध केंद्र गजा में चल रहे शोध कार्यों पर डा0 रैगर ने परियोजना के वैज्ञानिकों के प्रयासों की सराहना की और इन फसलों को किसानों तक पहुंचाने की दिशा में और प्रयास किए जाने पर जोर दिया। कहा कि शोध कार्यो से विकसित होने वाली तकनीकों से उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रांे के किसानो को लाभ पहुंचेगा। उन्होंने रामदाना, कुट्टू, भंगजीर, के महत्व एवं भविष्य की अपार संभावनाओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इन फसलों के उत्पादन को बढावा दने से किसानों की आय व कुपोषण को दूर करने में लाभ होगा। दलहनी फसल एडजुकी बीन व चारे की फसल कोएक्स पर्वतीय क्षेत्रों में खरीफ फसलों के साथ एक अच्छा विकल्प हो सकती हैं जिसको बढावा देने की जरूरत है। इस मौके पर भरत भूषण नकोटी, कुलदेव मखलोगा, विजय पाल, हरिकिशन आदि फील्ड स्टाफ मौजूद थे।
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