कृषि विज्ञान केन्द्र, टिहरी गढ़वाल द्वारा राष्ट्रीय किसान दिवस के अवसर पर प्राकृतिक खेती एवं अंतर्राष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष-2023 जागरूकता कार्यक्रम का सफल आयोजन

Team uklive



टिहरी : देशभर में भारत के पूर्व प्रधानमंत्री स्व. श्री चैधरी चरण सिंह जी की जयंती के अवसर पर 23 दिसंबर 2022 को राष्ट्रीय किसान दिवस मनाया जाता है। पूर्व प्रधानमंत्री स्व. श्री चैधरी चरण सिंह जी देश के किसानों के लिए काम करने वाले अग्रदूतों में रहे है, उन्होंने छोटे और सीमांत किसानों के मुद्दों को सबसे आगे में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई और वह हमेशा किसानों के अधिकारों के लिए लड़े और खड़े रहे है। इस अवसर पर वीर चंद्र सिंह गढ़वाली उत्तराखंड औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय के कृषि विज्ञान केन्द्र, रानीचैरी के द्वारा प्राकृतिक खेती एवं अंतर्राष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष-2023 विषय के तहत एक दिवसीय जागरूकता कार्यक्रम एवं मोटा अनाज की प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। 

कार्यक्रम का संचालन कृषि विज्ञान केन्द्र के प्रभारी अधिकारी डा. आलोक येवले ने कार्यक्रम के परिचय में पद्मश्री श्री सुभाष पालेकर जी द्वारा विकसित प्राकृतिक खेती की आज के समय उपयोगिता एवं सारा विश्व भारत के प्रतिनिधित्व में वर्ष-2023 को अंतर्राष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष-2023 रूप में मनाने के बारे में बताया। कार्यक्रम का आरम्भ मुख्य अतिथि वानिकी महाविद्यालय के अधिष्ठाता प्रोफेसर वी. पी. खंडुड़ी जी तथा अन्य अतिथियों ने दीप प्रज्ज्वलन करते हुए किया। अधिष्ठाता द्वारा पूर्व प्रधानमंत्री स्व. लाल बहादर शास्त्री जी केे वर्ष 1965 में  किसानों और जवानों के योगदान के लिए उनकों सम्मानित करने हेतु दिए जय जवान जय किसान नारे को याद किया। साथ ही मोटा अनाजों के खाद्य प्रसंस्करण और उत्पाद बनाकर लघु उद्योग स्थापित करने और स्वरोजगार सृजन करने के लिए ग्रामीणों तथा छात्रों को प्रेरित किया। 

विश्वविद्यालय के निदेशक प्रसार सह निदेशक प्रसार डॉ अरविंद बिजल्वाण जी ने कहा की आज के परिवेश में रासायनिक उर्वरकों एवं किटनाशक के अंधाधुंध प्रयोग से मिटटी के शरण होने के वजह से प्राकृतिक खेती का महत्त्व बढ़ा है। डॉ एस पी सती जी पारम्परिक फसलें जैसे कौनी, चीना, कोदा, झंगोरा, भट्ट और उसके बीजों के संरक्षण सम्बद्ध में बताया साथ में उन्होंनें कहा की जय जवान जय किसान नारे में हमारे लोकप्रिय पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी जी ने वर्ष 1998 में जय विज्ञान जोड़कर जय जवान जय किसान जय विज्ञान का नारा दिया।

केन्द्र के मृदा वैज्ञानिक सुश्री शिखा ने मृदा स्वास्थ्य तथा प्राकृतिक खेती के चार सिद्धांतो जैसे ‘‘बीजामृत, जीवामृत, आच्छादन व वापसा‘‘ आदि के बारे में चर्चा की तथा बीजामृत, जीवामृत व घनजीवामृत आदि बनाने की विधि साझा की। केंद्र के पादप संरक्षण वैज्ञानिक डा. सचिन कुमार ने प्राकृतिक विधि से पौधों की कीटों तथा जीवाणुवों से बचाव के बारे में अवगत कराया। साथ में जंगली जानवरों की समस्या के रोकथाम के उपाय बताये। 

पादप रोग वैज्ञानिक डा. लक्ष्मी रावत ने अंतर्राष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष 2023 के विषय में जानकारी साझा करते हुए मोटे अनाजों से होने वाले स्वास्थ लाभ के बारे में बताया एवं छात्रों तथा ग्रामीणों को इन अनाजों के उपभोग को लेकर जागरूक किया। डा. अजय कुमार, सस्य वैज्ञानिक ने जलवायु परिवर्तन के परिपेक्ष में मोटे अनाजों की उत्पादन तकनीकि और उनका महत्त्व बताया। प्राकृतिक खेती में फसल अवशेष तथा प्राकृतिक खेती के दो स्तम्भ वापसा एवं आच्छादन का प्रयोग करने की विधि एवं उपयोगिता पर बल दिया। 

इस कार्यक्रम में विभिन्न महिला समूहों द्वारा कृषि विभागों व विश्वविद्यालय के विभागों द्वारा विभिन्न उत्पादों एवं तकनिकी की प्रर्दशनी लगायी गयी। इस कार्यक्रम में श्रीमति संगीता देवी, श्रीमती पुष्पा देवी, श्री उदय सिंह तड़ियाल  श्री बृजेश, श्रीमती आशा देवी श्री तेजपाल बगियाल अदि लगभग 100 से अधिक  किसानों ने प्रतिभाग किया।

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