रिपोर्ट : वीरेंद्र नेगी
उत्तरकाशी में आपदा आये 10 साल पूरे हो चुके है. अभी तक तिलोथ पुल कि स्थति जस कि तस बनी हुई है. इस बीच सरकारे भी जनता द्वारा बदली भी गई. नई सरकार आएगी तो जनता कि मूलभूत सुविधाओं को सरकार हल करेगी.उत्तरकाशी जिले के कि ऐसे मुद्दे है जो अभी तक हल नहीं हो सकी. जिसमे से एक समस्या तिलोथ पुल भी है. जो मुख्यालय के 200 से 300 मीटर कि दुरी पर है.
कांग्रेस के मीडिया प्रभारी प्रताप प्रकाश पंवार भाजपा सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा . वर्ष 2015-16 मे तत्कालीन कांग्रेस सरकार के दौरान इस पूल निर्माण के लिए लगभग 8 करोड़ की लागत से धन आवंटित कर काम शुरु किया गया, लेकिन 2017 मे सरकार बदलते ही इस पुल निर्माण की गति इतनी सुस्त पड़ गयी. आज तक भी पुल निर्माण नहीं हो पाया.
सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण ये पुल से न सिर्फ नजदीकी कस्बे बल्कि बाड़ागड़ी व गाजणा क्षेत्र की बड़ी आबादी को जोड़ता है। स्कूली बच्चों की आवाज़ाही भी लगातार यही से जारी है, इसके पास के लगे कस्बे तिलोथ, मांडो और अन्य इस पुल पर गाड़ियों के आवागमन न होने से खासे परेशान है. लेकिन सोचने और देखने वाली बात ये है कि आज तक किसी भी स्थानीय ग्रामीणों और निवासियों ने इस पुल निर्माण मे हो रही देरी के लिए आवाज़ नहीं उठाई।
2020 के लगभग पूर्व गंगोत्री विधायक विजयपाल सजवाण के नेतृत्व मे कांग्रेस के साथी इस पुल के तिलोथ छोर पर इसके निर्माण मे हो रही लेटलतीफी के लिए धरने पर बैठे थे.प्रदर्शन भी किया गया.
भाजपा को जनता ने दो बार उत्तरकाशी से जमकर वोट दिया. लेकिन आजतक इनके वोट का उचित मूल्यांकन शायद भाजपा की डबल इंजन की सरकार नहीं कर पाई। भाजपा कि सरकार जनता को हासिये पर रख कर जनता का शोषण कर रही है.
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