पीड़ित पत्रकारों को आखिर क्यों नहीं मिल रहा न्याय
रिपोर्ट : राजेश पसरीचा
हरिद्वार : जहां देश में पत्रकारिता को लोकतंत्र में चौथे स्तंभ का स्थान दिया गया है वहीं आज सच की आवाज को उठाने वाले पत्रकारों की कलम को कुचल कर लोकतत्र की हत्या की जा रही है
जहां देश भर में हजारों बेकसूर पत्रकारों पर फर्जी मुकदमे दर्ज कर तानाशाही की जा रही है आखिर देश की सरकारें पत्रकारों के उत्पीड़न पर क्यों ध्यान नहीं दे रही आज देश के बहुत राज्यों में सरकारी महकमे के अधिकारी सिर्फ झूठी वाहवाही के लिए पत्रकारों से सम्बंध रखने का दिखावा कर रहे हैं
लेकिन यदि कोई पत्रकार अपनी ईमानदारी की कलम से कही सच की आवाज को सरकार तक पहुंचाने का काम करता है तो वही ऐसे ईमानदार पत्रकार अधिकारियों की नजरों में रोड़ा दिखाई देने लगते हैं
जिससे अपने सरकारी पद का दुरुपयोग कर पत्रकारों को टारगेट कर उनका उत्पीड़न शुरू कर दिया जाता है ऐसे ही सच लिखने वाले उत्पीड़न का शिकार हुए उत्तराखंड हरिद्वार के वरिष्ठ पत्रकार वेद प्रकाश चौहान जो कि आज अपने साथ हुए अत्याचार के लिए न्याय के लिए लगातार सरकार से गुहार लगा रहे हैं
लेकिन आज तक न्याय की जगह मिला तो सिर्फ भरोसा अभी तक किसी भी तरह से कार्यवाही नहीं की गई
जबकि एक आम व्यक्ति कोई अपराध करता है तो उस पर तत्काल पुलिस कार्यवाही करने में नही चूकती
सवाल यह उठता है कि इस देश में सरेआम तानाशाही करने वाले अधिकारियों के लिए कानून का कोई भय नहीं रह गया है अपने पद की मर्यादा का भी कोई ध्यान नही रहता जिससे ईमानदार अफसरों की भी छवि को धूमिल करने का काम कर रहे हैं
एक आम जनता के लिए ही कानून बनाए गए हैं जहां पीड़ितों को न्याय दिलाने में देश की पुलिस की अहम भूमिका रहती है वहीं कुछ पुलिस के तानाशाही अधिकारियों द्वारा बेकसूर जनता के साथ ही सच्चाई लिखने वाले पत्रकारों पर झूठे मुकदमे दर्ज कर जेल में डाल दिया जाता है
अपने पदों पर बैठे कुछ ऐसे अधिकारी सीधे साधे लोगों को अपना टारगेट बनाकर झूठी वाहवाही लूटने में लगे रहते हैं यदि ऐसे ही कलमकारों के साथ उत्पीड़न होता रहा तो भला आम जनता के साथ क्या हो रहा होगा जिले के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को व सरकार को जल्द ही पत्रकारों पर हो रहे उत्पीड़न पर ध्यान देना चाहिए जिससे भारत के किसी के साथ ऐसा दुर्व्यवहार ना हो
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें