मुख्यमंत्री के विरोध में गंगा पुरोहित, गंगा पुरोहितो ने कहा केदारखंड के आधार पर करवाए यात्रा

वीरेंद्र  सिंह नेगी 


 उत्तरकाशी : एक बार फिर से गंगा पुरोहितो का  आक्रोश उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के खिलाफ देखने को मिल रहा है. गंगा पुरोहितो कि ये आवाज कहा तक जाती है. इसको भी देखना होगा. गंगा पुरोहितो द्वारा कहा जा रहा है. जो चार धाम यात्रा कि जो परम्परागत स्थति है उससे सरकार छेड़खानी ना करे. इसी संबंध में गंगा पुरोहितो ने जिलाधिकारी उत्तरकाशी के माध्यम से प्रधानमंत्री को पत्र लिखा. 


 गंगा पुरोहितो का कहना है जो सभ्यता सदियों से चली आ रही है. जिन्हे आदिशंकराचारो द्वारा आदिकालो से चलाया जा रहा है. सरकार उसको बदलने कि चेष्टा ना करे. यमनोत्री, गंगोत्री,बद्रीनाथ व् केदारनाथ कि यात्रा जो सदियों से चली आ रही है. उसको सरकार यथावत रखे. 


 केदारखंड व् मानसखंड को उत्तराखंड सरकार एक ना करे. गंगा पुरोहितो का कहना है. पर्यटक का हम कोई विरोद्ध नहीं कर रहे है. मानसखंड को सरकार लाना चाहती है तो उसे भी लाये. मगर केदारखंड में उसे शामिल ना करे. केदारखंड मोक्ष प्राप्ति का द्वार है. जिसमे श्रद्धालु अपने पित्रो का पिंड दान करने आते है. ना कि पर्यटन के लिए आते है. 




साथ ही गंगा पुरोहितो द्वारा केदारखंड व् मानसखंड के बारे में बताया. यात्रा धार्मिक आस्था का केन्द्र है जिसके लिए शास्त्रों में नियम बनाये गये हैं। पूर्व में चार धाम यात्रा मोक्ष के लिए होती थी जो आज भी लगातार चल रही है। जिसका उदाहरण शास्त्रों में है कि पाण्डव भी अपनी गोत्र हत्या के श्राप को मिटाने के लिए उत्तराखण्ड आये थे इसका नियम है कि पहले यमनोत्री जो सूर्य पुत्री व यमराज की बहिन है जो प्राणी यमुना जी में स्नान ध्यान आदि करता है उसे यमदूत का भय समाप्त हो जाता है वही उसके बाद माँ पापनाशिनी गंगा जी के दर्शन का वर्णन है जो समस्त पाप संताप को हरने वाली है यहाँ पर भी पिण्ड दान व तर्पण करने का विधान है। 


 इसके बाद केदारनाथ नाथ मे भगवान् भोले बाबा के दर्शन के बाद अन्त में भोले नाथ के ईष्ट भगवान् बद्रीनाथ यानि स्वयं नारायण के जो जीव को समस्त बंधनों से मुक्त कर मोक्ष प्रदान करता है। यही पर अन्तिम पिण्ड दान का विधान शास्त्रों में वर्णित है। और इसी जगह पर पाण्डवों ने अपने पित्रो का श्राद्ध कर स्वर्ग रोहणी होते हुए अपने शरीरों को छोड़कर मोक्ष को प्राप्त हुऐ. शास्त्रों में तो व्यापक वर्णन है चार धाम यात्रा का जो यमनोत्री, गंगोत्री, बद्रीनाथ व् केदारनाथ में समाप्त होती है. 


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