श्री देव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय एवं उत्तराखंड आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय के मध्य समझौता ज्ञापन

 ज्योति डोभाल 


टिहरी : आधुनिक परिदृश्य में भारतीय प्राच्य ज्ञान सम्पदा“ विषय पर श्री देव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय परिसर, ऋषिकेश में दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार के समापन सत्र के दौरान दोनों विश्वविद्यालय के कुलपतियों ने समझौता ज्ञापन (एम0ओ0यू0) पर  हस्ताक्षर किये l


श्री देव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय द्वारा ”एक विश्वविद्यालय एक विषय“ के अन्तर्गत ऋषिकेश परिसर में स्थापित भारतीय ज्ञान परम्परा केन्द्र द्वारा 02 दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन सत्र में श्री देव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 एन0के0 जोशी एवं उत्तराखंड आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो० अरुण कुमार त्रिपाठी द्वारा नवाचार, शोध एवं शैक्षणिक गतिविधियों को प्रोत्साहित एवं बढ़ावा देने के उद्देश्य से समझौता ज्ञापन (एम0ओ0यू0) पर हस्ताक्षर किये गये। प्रो0 जोशी ने बताया कि समझौता ज्ञापन का मुख्य उद्देश्य दोनों विश्वविद्यालयों के मध्य भारतीय ज्ञान विज्ञान परम्परा पर शोध एवं व्यापक प्रचार प्रसार, वनस्पति विज्ञान के क्षेत्र में आयुर्वेद में उल्लेखित पारम्परिक मंत्र उच्चारण, हवन इत्यादि में विस्तृत शोध तथा वनस्पति एवं मानव पर मंत्रो के प्रभाव पर सम्भावनों को देखा जाएगा। उन्होने बताया कि उŸाराखण्ड आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय में रसायन विज्ञान, जन्तु विज्ञान, वनस्पति विज्ञान की आधारभूत नवीनतम प्रयोगशालाएं स्थापित हैं जिससे छात्र-छात्राओं को शोध कार्य में उत्कृष्ठ परिणाम मिलेंगे साथ ही फैकल्टी एक्सचेंज के तहत स्नातकोत्तर छात्र-छात्राओं को इन्र्टनशिप भी करायी जाएगी एवं संकाय विकास केन्द्र द्वारा शोध के क्षेत्र में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाएगा। संगोष्ठी के समापन सत्र के मुख्य अतिथि उत्तराखंड आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो० अरुण कुमार त्रिपाठी जी ने परम्परागत ज्ञान को मानव कल्याण के लिए उपयोगी बताया एवं समझौता ज्ञापन पर प्रंशसा व्यक्त की। उन्होनें कहा कि शोध के क्षेत्र में यह एम0ओ0यू0 दोनों विश्वविद्यालयों के छात्र-छात्राओं के लिये उपयोगी होगा। कुलपति प्रो0 एन0के0 जोशी ने पत्रकारों के साथ हुई वार्ता में बताया कि पूर्व में माननीय कुलाधिपति श्री राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) से हुयी शिष्टाचार भेंट के दौरान एक राज्य एक शोध के बारे में विस्तृत चर्चा की गयी थी जिसमें उन्होनें माननीय कुलाधिपति श्री राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) को आश्वस्थ किया था कि विश्वविद्यालय इस वर्ष ‘‘भारतीय पारम्परिक ज्ञान प्रणाली‘‘ विषय पर उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करने के साथ साथ एक अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन करेगा, जिसके परिणाम स्वरूप विश्वविद्यालय द्वारा ”आधुनिक परिदृश्य में भारतीय प्राच्य ज्ञान सम्पदा“ विषय पर विश्वविद्यालय परिसर ऋषिकेश में दो दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी सफलतापूर्वक आयोजित कर समापन किया गया।

संगोष्ठी की संयोजक प्रो० अनिता तोमर ने बताया कि संगोष्ठी में 228 प्रतिभागी समिलित हुए तथा 228 शोध पत्रों का 11 सत्रों में प्रस्तुतीकरण हुआ।

भारतीय ज्ञान पंरम्परा केन्द्र की निदेशक प्रो० कल्पना पंत ने सभी प्रतिभागियों का धन्यवाद ज्ञापित किया।

 उन्होने समूर्ण आयोजन समिति की तरफ से  कुलपति एवं कैम्पस निदेशक सहित सभी प्राध्यापकों तथा शिक्षणेत्तर कर्मचारियों का धन्यवाद ज्ञापित किया।

 सत्र का संचालन  प्रो० पूनम पाठक द्वारा किया गया।

 इस अवसर पर विज्ञान संकाय अध्यक्ष प्रो0 गुलशन कुमार ढ़िंगरा, कला संकाल अध्यक्ष प्रो0 डी0सी0 गोस्वामी, वाणिज्य संकाय अध्यक्ष प्रो0 कंचन लता सिन्हा प्रो0 संगीता मिश्रा, प्रो0 मनोज यादव, प्रो0 एस0पी0 सती डाॅ0 शिखा ममगांई, , प्रो0 अटल बिहारी त्रिपाठी,प्रो० अधीर कुमार,डा० गौरव वास्णेय,प्रो० स्मिता बडोला,डा० पुष्कर गौड,,डा० अशोक कुमार,डा० वी०पी० बहुगुणा,प्रो० नवीन शर्मा प्रो० सुरमान आर्य,प्रो० आशीष शर्मा,प्रो० परवेज अहमद,प्रो०नीता जोशी, प्रो० डी० एम० त्रिपाठी, प्रो० वी०डी० पाण्डे,प्रो० दुबे,डा० शालिनी रावत,डा० प्रीति खण्डूरी,डा० एस०के० कुडियाल,डा० राकेश जोशी ,एवं डा० श्रीकृष्ण नौटियाल उपस्थित थे।

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