परमहंस स्वामी रामतीर्थ जी महाराज की 150 वीं जयंती पर हुआ वेदांत सम्मेलन

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 ज्योति डोभाल संपादक 


टिहरी : मंगलवार  10 सितंबर को स्वामी रामतीर्थ परिसर बादशाही थौल, टिहरी में परमहंस स्वामी रामतीर्थ महाराज जी की  150 वीं जयंती वर्ष के शुभ अवसर पर उनके जीवन पर आधारित पुस्तक विमोचन और वेदान्त सम्मेलन के आयोजन का उद्घाटन हरिवंश नारायण सिंह जी उपसभापति, राज्यसभा द्वारा किया गया l


सभा में अति विशिष्ट अतिथि कुलपति श्री देव सुमन विश्वविध्यालय प्रोफेसर एन. के. जोशी व पूर्व सचिव भाई कमलानंद जी की उपस्थिति रही। 

सभा में  ताराचंद वैध जी, बतौर विशिष्ट अतिथि,  किशोर उपाध्याय (विधायक टिहरी) व सीए  राजेश्वर पैन्यूली एवम्  इमरान मरला की उपस्थिति रही l

 कार्यक्रम की अध्यक्षता व संचालन  ए.ए. बौडाई-निदेशक एच.एन.बी. गढ़वाल यूनिवर्सिटी व  विनोद चमोली  ने किया |


कहा कि आजादी के अमृतकाल में आयोजित हो रहे इस कार्यक्रम से स्वामी जी महाराज के महान योगदान और त्याग को, समाज मे जीवंत रखने के प्रति हम सभी की जिम्मेदारी बहुत बढ़ जाती है।


सी.ए. राजेश्वर पैन्यूली ने अपने उ‌द्बोधन में कहा की वेदान्त, चरित्र निर्माण, शिक्षा के प्रसार के प्रति कार्य को सुनिश्चित करना ही परमहंस स्वामी रामतीर्थ जी महाराज के प्रति सच्ची भक्ति होगी।

 इसी संदर्भ में अपने विचार को आगे बढ़ाते हुए  "खैट पर्वत क्षेत्र के विकास के मुद्दे और क्षेत्र के लिए प्रस्तावित "योग विध्यापीठ" और उसके विभिन्न परिसरों के विस्तार के सम्बन्ध में उपस्थित  जनों से समर्थन माँग कर अपनी प्राथमिकता को दोहराया।


पुस्तक विमोचन और वेदान्त सम्मेलन में विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रतिभाग रहे सीए  राजेश्वर पैन्यूली, सह संयोजक आर्थिक प्रकोष्ठ, बीजेपी उत्तराखंड ने सम्मेलन को संबोधित किया । 

उन्होंने कहा की यह विलक्षण महापुरुष स्वामी जी की 150 वीं जयंती वर्ष का शुभ कार्यक्रम है जिन्होंने समाज में राष्ट्रप्रेम और अध्यात्म की अलख जगाई। भारतीय संस्कृति एवं अध्यात्मवाद का शंखनाद कर सच्चे वेदांत का सारे जग में प्रचार प्रसार कर उसे श्रेष्ठ ऊंचाईयो तक पहुँचाया ।


उनके  कारण टिहरी व भागीरथी तट पवित्र हुवे, इन सबके लिए भारतीय समाज उनका सदैव ऋणी रहेगा। 

उन्होंने तैंतीस साल की अल्प आयु में जीवन को श्रेष्ठ बनाए रखने के लिये राष्ट्रीयता के गुणों पर जोर दिया, वह चाहते थे की प्रत्येक व्यक्ति देश का सम्मान बढ़ाने के लिए कड़ा परिश्रम करे।


स्वामी रामतीर्थ जी ने सत्य और वेदांत की शक्ति की महत्ता को प्रतिपादित किया | 

उन्होंने  उद्धरणों से सिद्ध किया की विद्या से आत्मज्ञान होता है। और यही वेदांत की शिक्षा है। स्वामी रामतीर्थ शिक्षा से मिले आत्मज्ञान को ही जीवन की सफलता का एक मात्र साधन मानते थे।


स्वामी रामतीर्थ जी महाराज ने शिक्षा द्वारा युवकों के शरीर निर्माण और चरित्र निर्माण की आवश्यकता पर विशेष ध्यान देने का हमेशा ही संदेश दिया। आजादी के अमृतकाल में आयोजित हो रहे इस कार्यक्रम से, स्वामी जी महाराज के महान योगदान और त्याग को, समाज मे जीवंत रखने के प्रति हम सभी की जिम्मेदारी बहुत बढ़ जाती है। सीए राजेश्वर पैन्यूली ने  अपने उ‌द्बोधन में कहा की वेदान्त, चरित्र निर्माण, शिक्षा के प्रसार के प्रति कार्य को सुनिश्चित करना ही परमहंस स्वामी रामतीर्थ जी महाराज के प्रति सच्ची भक्ति होगी।

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