बाडाहाट निकाय चुनाव में कांग्रेस के वोट पलटने के कारण हारी भाजपा.कांग्रेस के वोट डायवर्ड हुए निर्दलीय को - सूत्र
वीरेंद्र सिंह नेगी उत्तरकाशी.
बाडाहाट नगरपालिका चुनाव में भाजपा की हार का कारण भाजपा के अंदरूनी मामले से नहीं बल्कि कांग्रेस के वोट डायवर्ड हुए. कांग्रेस के जो मुख्य वोटर थे उनके वजह से निर्दलीय प्रत्यासियो को इसका लाभ मिला. जंहा कांग्रेस के कौर वोटरों ने निर्दलीय अध्यक्ष व् सभासदो को वोट दिया.इस बार कांग्रेस पार्टी को मिले कुल 600 मतों के कारण ही भाजपा यह चुनाव हार गई जबकि इससे पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष कांग्रेस पार्टी का ही था इसके बावजूद कांग्रेस पार्टी 1000 मत भी ना ला सकी.
राजनैतिक विश्लेषको की मानें तो कांग्रेस इस बार 3,000 हजार वोट प्राप्त करती तो भाजपा के प्रत्याशी किशोर भट्ट 100 या 500 वोटो के अंतराल से जीत दर्ज करती.गोरतलब है कि चुनाव हारने के बाद भाजपा के अंदर ही तरह तरह की बातें सोशल मीडिया के जरिए बाहर आ रही है जिसके चलते पार्टी में भीतरी घात की आशंका जताई जा रही है वहीं कहीं लोगों का मानना है कि भाजपा के अंदर कोई भीतरघात नहीं हुआ है लिहाजा निर्दलीय प्रत्याशी की तैयारी पिछले 10 सालों से थी जिसके चलते उनका माहौल टिकट से पहले से ही बना हुआ था वहीं कोई लोग बताते हैं कि महिला टिकट होने के बावजूद दो घंटे में टिकट सामान्य होता है इससे महिलाओं एवं महिला उम्मीदवारों में काफी रोष देखने को मिला.जिसके चलते पार्टी को नुक्सान होने की संभावना पहले ही बन गई थी. वहीं बाडाहाट नगरपालिका चुनाव में सुधा गुप्ता के अलावा भाजपा कभी जीत हासिल नहीं कर पाई यहां तक भाजपा कभी दुसरे नम्बर पर भी नहीं पहुंच पाई थी.
सूत्रों के मुताबिक बात करे तो बाड़ाहाट भाजपा के अंदर भी कुछ हलचल चल रही थी. खुलकर कोई बोलने को तैयार नहीं है.सिर्फ आरोप प्रत्यारोप लगाए जा रहे थे.इसी तानातनी को देखते हुए कांग्रेस के कौर वोटर ने कांग्रेस को वोट न करते हुए इस चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी भूपेंद्र सिंह चौहान को वोट डाला जिस कारण भाजपा व् कांग्रेस यह चुनाव हार गई।
वर्तमान एवं पूर्व विधायको की भूमिका.
इस चुनाव में खास बात यह रही कि 2022 के विधानसभा चुनाव में दोनों विधायक आमने-सामने रहने के बावजूद इस बार दोनों एक साथ प्रचार करते नजर आए जिससे कुछ हद तक लोगों को भाजपा में मजबूती नजर आने लगी.ऐसा दृश्य पहली बार देखने को मिला. कि सिटिंग विधायक पहली बार स्थानीय चुनाव में घर-घर जाकर वोट मांगने गए. वहीं पूर्व विधायक की बाजार क्षेत्र में अत्यधिक पकड़ होने से किशोर भट्ट को और मजबूती मिली साथ ही पूर्व विधायक ने भाजपा प्रत्याशी के साथ कई तरह की घोषणा भी की और लोगों को रिझाने का प्रयास भी किया. पूर्व के चुनावों में देखा गया है कि सीटिंग विधायक कभी भी निकाय चुनाव में इतना प्रचार प्रसार करते नहीं देखा गया. ऐसा पहली बार रहा कि वर्तमान विधायक व् पूर्व विधायक ने एकसाथ चुनाव प्रचार किया।
सभासद प्रत्याशी के टिकट में नाराजगी
गौरतलब है कि इस चुनाव में कुछ लोग सभासद प्रत्याशीयों के गलत टिकट वितरण को हार का कारण भी मानते हैं इससे भाजपा का जो सक्रिय कार्यकर्ता थे. जिसने वर्षों से पार्टी के भीतर तथा अपने वार्डों में जमीनी मेहनत की थी लेकिन टिकट न मिलने से कई प्रत्यासियो ने निर्दलीय पर्चा भरा जिस कारण पार्टी के ही लोग दो मत प्रचार करते देखे गए इसमें पार्टी के विभिन्न दायित्वों एवं जिले में महत्वपूर्ण पदों पर रहे लोगों ने भी निर्दलीय सभासद प्रत्याशियों के लिए जमकर मेहनत की जिसके कारण पार्टी का सभासद प्रत्याशी व अध्यक्ष प्रत्याशी को वोट में नुकसान उठाना पड़ा.मुख्य कारण इसमें यह रहा मुख्य पार्टी द्वारा टिकट का वितरण सही तरीके से नहीं किया गया. यह भी एक हार का मुख्य मुद्दा रहा.
पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष की छवि
भाजपा के पास जहां इस चुनाव में दो दो विधायक थे वहीं पूर्व के दो दो अनुभवी पालिका अध्यक्ष भी चुनाव प्रचार करते साथ देखे गए जिसमें उनकी छवि के कारण भी लोगों में काफी संयम देखने को मिला जिसका फायदा या नुकसान आंकलन करना सहज की बात थी।
स्थानीय चुनाव में मुख्यमंत्री का चुनाव प्रचार में आना
निकाय चुनाव आमतौर पर नाते रिश्तेदारों एवं छोटा चुनाव माना जाता है जिसका सीधा संबंध प्रत्याशियों के व्यवहार पर काफी निर्भर करता है जहां रिस्तेदारी, आम जुड़ाव प्रत्याशी के पक्ष एवं विपक्ष में होता है वहीं मुख्यमंत्री का उत्तरकाशी में प्रचार के लिए आना लोगों को हजम नहीं हुआ.जिसके फलस्वरूप लोगों ने खुद को ओर अधिक मजबूत करके दिखाया जिसका फायद निर्दलीय उम्मीदवार को मिला।
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